रायपुर/बस्तर मित्र
छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर थम नहीं हो रहा है। रविवार को प्रदेश में 3,841 नए केस मिले हैं, जिसमें रायपुर में सबसे ज्यादा 1,018 संक्रमितों की पुष्टि हुई है। वहीं कोरोना से प्रदेश में 11 लोगों की जान भी चली गई। छत्तीसगढ़ में अब एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 32 हजार के करीब पहुंच गई है। रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, दुर्ग, राजनांदगांव व बस्तर में सबसे ज्यादा केस मिले हैं। सरकार की तमाम पाबंदियों के बाद भी संक्रमण कम नहीं हो रहा है। प्रदेश में पॉजिटिविटी दर 14% से अधिक पहुंच गई है। रविवार को बिलासपुर में ओमिक्रॉन के 8 नए मरीजों की भी पुष्टि हुई है। छत्तीसगढ़ में इस महामारी से अब तक 13,727 लोगों की जान जा चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग के राज्य कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को प्रदेश में 3,841 नए केस मिले हैं, जिसमें सबसे ज्यादा रायपुर में 1,018 नए संक्रमित मिले हैं। इसके बाद दुर्ग में 790, रायगढ़ में 291, बिलासपुर में 250, बस्तर में 239, जशपुर में 164, राजनादगांव में 142, धमती में 130, जांजगीर-चांपा में 117, बलौदबाजार में 93, कांकेर में 96, सरगुजा में 65 नए केस मिले हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों में 10 से 50 के बीच मरीज मिले हैं। प्रदेश में अब कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 31,990 हो गई है। राज्य में ओमिक्रॉन के अब तक 29 संक्रमित भी मिल चुके हैं। ओमिक्रॉन मरीजों के स्वस्थ होने के बाद रिपोर्ट आ रही है, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है।
रायपुर में पांच लोगों की गई जान :-
रविवार को 27 हजार 377 सैंपलों की जांच की गई। प्रदेश में पॉजिटिविटी दर 11.76% से बढ़कर 14.03% हो गई है। कोरोना संक्रमण से रायपुर में 5, दुर्ग में 2, बेमेतरा, बिलासपुर, जाजंगीर-चांपा व बस्तर में 1-1 की मौत हुई है। हॉस्पिटल से 96 लोग डिस्चार्ज हुए तो वहीं 2,925 लोगों ने होम आइसोलेशन पूरा किया है। शनिवार की अपेक्षा रविवार को सैंपलों की जांच आधी हो गई, जिसकी वजह से कम केस मिले हैं। राजधानी रायपुर व दुर्ग में सबसे ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। प्रदेश में मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है।
रायपुर में जीनोम सिक्वेंसिंग लैब की मांग:-
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जीनोम सिक्वेंसिंग लैब की मांग फिर से दोहराई है। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से इसे लेकर फोन पर चर्चा की है। रायपुर एम्स व मेडिकल कॉलेज में इसकी सुविधा शुरू करने का आग्रह किया है, ताकि समय पर यहां आमिक्रॉन के नए वेरिएंट की पहचान हो सके। बता दें कि सैंपल अभी ओडिशा के भुवनेश्वर लैब भेजा जा रहा है, जहां से जांच रिपोर्ट आने में 20 दिन से ज्यादा समय लग जाता है। जब तक रिपोर्ट आ रही है, तब तक मरीज स्वस्थ हो चुके होते हैं।