रायपुर/बस्तर मित्र
एफएसएसएआई ने 29 दिसंबर को देशभर के 29 राज्यों में तेल की जांच रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें शुद्धता के मामले में छत्तीसगढ़ 24वें नंबर पर था। भास्कर टीम ने यहां से लिए गए सैंपल की जांच का ब्योरा निकाला, तब खुलासा हुआ कि यहां राइस ब्रान तेल और सरसों तेल के ज्यादातर सैंपल शुद्धता और मानकों पर खरे नहीं उतरे।
घर में इस्तेमाल किया जाने वाला तेल कितना शुद्ध है, क्वालिटी कैसी है, इसकी पड़ताल का आम लोगों के पास कोई सिस्टम नहीं है लेकिन फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की ताजा रिपोर्ट ने छत्तीसगढ़ में बिक रहे तेलों की क्वालिटी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एफएसएसएआई की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सभी जिलों से अलग-अलग तेलों के 177 सैंपल कलेक्ट किए गए थे, जिसकी देशभर की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में जांच करवाई गई।
जांच रिपोर्ट चौंकाने वाली है, क्योंकि इन सैंपलों में आधे (88 या 49.7 प्रतिशत) मानकों पर खरे नहीं उतरे या मिलावट पाई गई है। यहां बिक रहा राइस ब्रान आइल और सरसों तेल ऐसे हैं, जिनके सैंपल सबसे ज्यादा फेल हुए हैं, यानी इनकी क्वालिटी बाकी तेलों की तुलना में खराब पाई गई है। यही नहीं, देशभर के 29 राज्यों में छत्तीसगढ़ तेलों की क्वालिटी के मामले में 24वें पायदान पर है, अर्थात यहं के बाद देश में केवल 5 ही राज्य हैं जहां खाने के तेल के सर्वाधिक सैंपल फेल हुए हैं। भास्कर पड़ताल में पता चला कि 25 से 27 अगस्त 2020 के बीच पूरे राज्य में एफएसएसएआई ने रेंडम सैंपलिंग की थी। फिर इसकी जांच अपनी प्रयोगशालाओं में करवाई।
तेलों में कई और कमियां:-
प्रदेश से इकट्ठा किए गए सैंपल में फैटी एसिड और आयोडीन की कमी पाई है। यानी कंपनी पैकेजिंग में जिन तत्वों के तेल में शामिल होने का दावा कर रहती हैं, सैंपल जांच में वे मिले नहीं या उनकी मात्रा कम पाई गई है। यह मिसलीडिंग की श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि कंपनियां उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही हैं। उधर, राज्य में फेल सैंपल में 20.3 प्रतिशत एसिड वैल्यू और 35.3 प्रतिशत में नमी मिली है। इसके अलावा विटामिन-ए, विटामिन-डी2, विटामिन-डी3 भी मानकों से कम मिला है।
ऑफ्लाटॉक्सिन्स की मिलावट :-
सरसों तेल, नारियल तेल, सूरजमुखी, कुसुम तेल, मूंगफली, राइस ब्रेन, तिल का तेल, मक्के का तेल और अलसी तेल में मिलावट मिली है। सबसे ज्यादा मिलावट राइस ब्रान ऑइल और सरसों में पाई गई है। इनमें ऑफ्लाटॉक्सिन्स, कीटनाशक और घातक रसायन और भारी मेटल मिले हैं। रिपोर्ट में हाईड्रोसाइनिक एसिड का भी जिक्र है, जो घातक रसायन माना जाता है।