कांकेर/बस्तर मित्र
जिले में धान खरीदी का लक्ष्य पूरा करने के लिए खरीदी के लिए शेष सात दिनों में 6 लाख क्विंटल धान की खरीदी करनी होगी। जिले में अब भी 25 प्रतिशत ऐसे पंजीकृत किसान हैं, जिन्होंने अपना धान समर्थन मूल्य पर नहीं बेचा है। पिछले वर्ष पंजीकृत कृषकों में से 91 प्रतिशत से अधिक किसानों ने अपना धान समर्थन मूल्य पर बेचा था। इस बार भी पंजीकृत किसानों में से 90 प्रतिशत कृषकों द्वारा ही समर्थन मूल्य पर धान बिक्री की उम्मीद जताई जा रही है।
धान खरीदी का लक्ष्य पूरा करने के लिए जिले में लगभग छह लाख क्विंटल धान की और खरीदी करने की जरूरत है। दूसरी ओर समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कार्य के लिए केवल सात खरीदी दिवस ही शेष रह गए हैं। धान खरीदी की तारिख आगे बढ़ने से संभावना जताई जा रही है, जिले में धान खरीदी का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि जिले को 3383270 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य मिला था।
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी 7 फरवरी तक की जानी है। सात खरीदी दिवस ही खरीदी कार्य के लिए शेष रह गए हैं और खरीदी का लक्ष्य पूरा करने के लिए 6 लाख 78 हजार क्विंटल धान की खरीदी की जानी है। जिले में अब तक 27 लाख 52 हजार क्विंटल से अधिक धान की खरीदी का कार्य पूरा हो गया है। जो लक्ष्य का 80 प्रतिशत है। जिला विपणन अधिकारी चंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि निर्धारित समय में धान खरीदी का लक्ष्य पूर्ण कर लिया जाएगा। खरीदी के लिए पर्याप्त बारदाने भी उपलब्ध है, जिसके चलते अब किसानों से बारदाना भी नहीं लिया जा रहा है। केवल पखांजूर व अंतागढ़ क्षेत्र में किसानों से बारदाना लिया जा रहा है।
67 हजार किसानों ने बेचा धान :-
जिले में 91216 पंजीकृत किसान हैं, जिनमें से 67699 किसान समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री कर चुके हैं। जिसके बाद 23 हजार से अधिक किसानों से धान खरीदी का कार्य किया जाना है। धान बेचने के लिए अब भी जिले में बड़ी संख्या में किसान शेष हैं। पिछले वर्ष जिले में 81824 पंजीकृत किसाने थे, जिसमें 74996 किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपने धान की बिक्री थी। जो पंजीकृत किसानों का 91.6 प्रतिशत था।
खरीदी केंद्रों में 13 लाख क्विंटल धान :-
जिले में धान खरीदी के लिए 137 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों में अब तक 27 लाख क्विंटल से अधिक धान की खरीदी हो चुकी है। साथ ही उठाव का कार्य भी जारी है। लेकिन इसके बाद भी धान खरीदी केंद्रों में अब भी 12 लाख 91 हजार क्विंटल से अधिक धान का उठाव किया जाना शेष है।