छत्तीसगढ़

शराबबंदी पर भाजपा का हमला, जनजाति समाज के लोग दारू पीकर सोए रहें - नंदकुमार

बस्तर मित्र न्यूज।

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर फिर सियासत तेज हो गई है। पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के बयान के बाद भाजपा के नेता भूपेश सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष व दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कहा कि कांग्रेस की यही नीति है कि आदिवासी दारू पीते रहे और पड़े रहे। आदिवासियों की कोई प्रगति न हो कांग्रेस यही चाहती हैं। सबसे पहले शराबबंदी जनजाति समाज से की जानी चाहिए।

नंदकुमार साय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आखिर क्या चाहती है कि आदिवासी प्रगति न करें। उन्होंने कहा कि मोहन मरकाम गलत बोल रहे हैं। शराब को सबसे पहले प्रतिबंधित करना चाहिए और इसकी शुरुआत जनजाति समाज से की जानी चाहिए। आदिवासियों की आर्थिक दृष्टि से प्रगति के लिए खेती को आगे बढ़ाना चाहिए। ट्रायबल वेलफेयर को जनजाति समाज के समग्र उन्नयन के लिए आज से ही लगाया जाना जाए। उन्होंने कहा कि मोहन मरकान कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनकी सरकार है। इस घोषणापत्र पर कल से ही अमल किया जाना चाहिए। ऐसे में सवाल उठते रहेंगे।

कांग्रेस को 2023 में जनता सिखाएगी सबक

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने शराबबंदी को लेकर मोहन मरकाम को छत्तीसगढ़ की जनता से माफी मांगने की बात कही है। कौशिक ने कहा है कि हम शुरुआत से कहते आ रहे हैं कि कांग्रेस झूठ बोलकर सत्ता में आई है। शराबबंदी का वादा था, लेकिन अब वादाखिलाफी की जा रही है। कौशिक ने कहा कि शराब की वजह से प्रदेश में अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। मरकाम को छत्तीसगढ़ की जनता से माफी मांगते हुए यह बात कहनी चाहिए कि वह शराबबंदी नहीं करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि जनता देख रही है और उन्हें साल 2023 में सबक सिखाएगी। कौशिश ने शराबबंदी को लेकर ट्वीट भी किया है, जिसमें कविता के माध्यम से उन्होंने सरकार पर हमला बोला है। उन्होने लिखा है - किये थे न जाने कितने वादे। नेक नहीं आपके इरादे। हर तरफ फैला नशे का बाजार। हुक्मरान के श‍ह पर हो रहा इसका अवैध व्‍यापार। वक्त आया वादा निभाने का, मगर आपने अपना हुनर दिखाया वादाखिलाफी का।

मोहन मरकाम ने दिया था यह बयान

दरअसल, अंबिकापुर में दो दिन पहले कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बयान दिया है। मरकाम ने साफ कह दिया है कि प्रदेश में 60 प्रतिशत अनुसूचित क्षेत्र है। वेद, पुराण और शराब आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है। आदिवासी संस्कृति में महुए के फूल से लेकर सोमरस तक से तर्पण किया जाता है। ऐसे में राज्य के 60 प्रतिशत आदिवासी क्षेत्र में शराबबंदी संभव नहीं है। राज्य के बाकी 40 प्रतिशत क्षेत्र में सरकार क्या निर्णय लेती है, यह तो सरकार ही जानें। इसके बाद शनिवार को सीएम भूपेश बघेल ने मोहन मरकाम के बयान को सही बताया था और भाजपा पर हमला बोला था।

कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए वादों की भाजपा सहित विपक्षी पार्टियां सरकार को बार-बार याद दिलाती रही हैं। हालांकि राज्य सरकार ने चुनाव के बाद तीन कमेटियां बना दी थी, लेकिन वह कमेटी अब तक किसी नतीजे पर न तो पहुंची है और न ही पहुंचती दिख रही है। ऐसे में यह समझा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी शराबबंदी के मामले में यू-टर्न जैसी स्थिति में पहुंच गई है।




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Kiran Komra

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