बस्तर मित्र न्यूज।
रायपुर में प्रभावित किसानों के आंदोलन को लगभग 50 दिन हो गए। किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। इधर सरकार का कहना है कि किसानों की 8 में से 6 मांगें मान ली गई हैं। आंदोलनकारियों इसे राज्य सरकार का किसानों के साथ छलावा बता रही है। उनका कहना कि भाजपा सरकार के समय ही इन मुद्दों का निर्णय हो चुका था। उनकी मुख्य मांग तो सहमति के बिंदुओं में शामिल ही नहीं है। इसलिए उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसान दिल्ली कूच करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं।
बता दें कि कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने रविवार को दोपहर अपने निवास कार्यालय में वन मंत्री मोहम्मद अकबर के साथ मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा की। जानकारी दी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नई राजधानी परियोजना के प्रभावित किसानों की मांगों को लेकर संवेदनशील हैं। नई राजधानी परियोजना नवा रायपुर के प्रभावित किसानों की 8 मांगों में से 6 पर सहमति बन गई है। मांगों पर सहमति के बाद कृषि मंत्री चौबे ने किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की। इधर आंदोलनकारियों ने इसे किसानों के साथ छल बताया है। किसानों ने कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। रविवार को किसान संगठन ने 27 गांवों में बाइक रैली भी निकाली। बता दें कि तीन फरवरी को किसानों ने सीएम भूपेश बघेल से एयरपोर्ट पर मुलाकात भी की थी।
आवासीय पट्टा देने सहित कई मांगों पर सहमति :-
कृषि मंत्री चौबे ने बताया कि किसान प्रतिनिधियों से हुई सार्थक चर्चा के बाद नई राजधानी परियोजना क्षेत्र में जहां ग्रामीण बसाहट है, वहां आवासीय पट्टा दिए जाने, आडिट कंडिकाओं के निदान, प्राधिकरण की निविदा सेवाओं में 60% कर्मचारी प्रभावित गांवों के लिए जाने की सहमति बनी है। इसी तरह विस्थापितों एवं भूमिहीनों को पूर्व बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार पट्टा दिए जाने, नई राजधानी परियोजना क्षेत्र अंतर्गत रोजगार एवं व्यवसाय के लिए निर्मित परिसंम्पत्ति जिसमें 7 दुकान, 4 हॉल, 12 गुमटी और 71 चबूतरा का आवंटन प्रभावित क्षेत्र के लोगों को लागत मूल्य पर लॉटरी के माध्यम से करने और 27 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री के लिए अनापत्ति लेने से मुक्त किए जाने की सहमति बनी है।
दिल्ली जाने की योजना बना रहे प्रभावित किसान :-
नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के नेतृत्वकर्ता रुपन लाल चंद्राकर ने कहा है कि यह सरकार भी किसानों के साथ छलावा कर रही है। नवा रायपुर के प्रभावित आंदोलनकारी किसानों की वास्तविक मांगों की पहले और वर्तमान सरकार ने अब तक उपेक्षा ही की है। अगर उन मांगों को पूरा कर दे तो हम आंदोलन वापस ले लेंगे। रुपन लाल चंद्राकर ने बताया कि भाजपा सरकार के समय हमने जो मांग रखी थी, उसको लेकर कई बार बैठकें हुई। उस दौरान भाजपा सरकार ने जिन मांगों पर सहमति दी थी वह केवल एक बिंदु है, जिसमें 6 मांगें शामिल है, उसी मांगों पर वर्तमान कांग्रेस सरकार ने भी सहमति दे रही है। इसका कोई मतलब नहीं है। तीन दौर की बैठकें हो चुकी है, लेकिन अभी तक सरकार ने ध्यान नहीं दिया है। जब तक पूरी मांगों पर सहमति नहीं बनती तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगी। अब हम देश की राजधानी दिल्ली जाने की सोंच रहे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी सहित व भाजपा के राष्ट्रीय संगठन के नेताओं से बात करेंगे।