

आप लेखक (Writer ) बन नहीं सकते क्योंकि आप Writer बनके पैदा होते है। लिखना एक गिफ्ट है जो आपके DNA में होती है आपके Default programming में होती है ये एक सुपर पॉवर है जो आपको बनाते वक्त कुदरत ने आपसे छुपा दिया था। लेकिन कुदरत की शरारत ये है कि वो आपके पेशानी पे सुपर पॉवर का टैग नहीं लगती । यानि अपना सुपर पॉवर खुद ढूंढना पड़ता है।
दुनिया की कोई भी ताकत आपके क्रोमोजान्स में शब्द की ताकत नहीं भर सकती। अगर आप ले करके पैदा नहीं हुए लेकिन सवाल है क्या DNA में लेखक वाली coding होना ही कॉफी है जवाब है बिल्कुल नहीं ! वो सिर्फ एक स्टार्ट है वो Gun shot है जिसे सुनकर Sprinter दौड़ना शुरू करते हैं। ये दौड़ भी थोड़ी अलग है यहां Finishing line की Value जीरो है। जिसने दौड़ पूरी कर ली उसकी कहानी खत्म जो दौड़ रहा है वही Important है।
लेखक की गलतियां (Mistaks of Writer)
अच्छे लेखक सौ पन्ने पढ़ते हैं तो एक लाइन लिखते है। पढ़ना भरना है और लिखना छलकना बिना भरे आप छलक नहीं सकते। नहीं पढ़ने का सबसे बड़ा नुकसान है कि आपका test Develop नही होता है।
कभी भी लिखते समय दूसरे बड़े लेखको को नकल मत कीजिए बल्कि स्वयं का अंदाज विकसित कर लिखिये ।
अपने लिए सही रोल मॉडल और सही उदाहरण चुनियें और अपवाहो पर ध्यान मत दीजिये। अपना पूरा फोकस लिखने पर दीजिये।
हमेशा सीधी और सरल भाषा में लिखिये आपके रचनाएं यदि कठिन शब्दों से भरें होगें तो लोग आपको छोड़ देंगे क्योंकि अब लोगों के पास पहले जैसा धैर्य रहा नहीं।
1896 में पहला ऑलोम्पिक हुआ था 1954 तक यानि 58 सालों तक बड़े-बड़े एथलीट दौड़ते रहे पर कोई भी 1 मील की दौड़ 4 मिनट के अन्दर पूरा नहीं कर पाया। इसे नामुनकीन माना जाता था। एक्सपर्ट और डॉक्टर्स की राय थी कि ये हो ही नहीं सकता हमारी Body इतना तेज दौड़ने के लिये बनी ही नहीं है Condition भी नहीं है। न हमारा दिल इतना Blood पम्प कर सकता है न हमारे लंग्स इतना ऑक्सीजन प्रोसेस कर सकते हैं। इंसान इन्सान है कोई चीता नहीं कि इसका सजगता (Reflexes) इतना तेज दौड़ने में इसकी मदद करें। फिर 1954 में ब्रिटिष एथलिट रोजर बैनिस्टर ने 3 मिनट 59 सेकेंड में पूरा एक मील दौड़कर दिखा दिया । बैनिस्टर के बाद उसी साल 27 और एथलीट ने 4 मिनट के अन्दर ये दौड़ पूरी कर पाये। ठीक अगले साल 235 और एथलीट ने 1 मीटर की दूरी 4 मिनट से कम में पूरी करके दिखा दिया। जो काम 58 सालों तक नामुमकीन बना रहा वह रातों रात इतना आसान कैसें हो गया। क्योंकि रोजर बेनिस्टर के बाद बाकी एथलीटों ने मान लिया कि ये हो सकता है, ये Achievable है ।
आपको भी अपने Subconscious Mind को प्रशिक्षित (Train ) करना पड़ेगा कि लिखते हुए आपकी भी जब कोई Thoughts कोई Refrance point की जरूरत पड़े तो अपने आप दिमाग की हाट राइट से उछलकर वो Thoughts सामने आ जाये।
आप जो भी पढ़ते है आपके अवचेतन मस्तिषक में ठहरा हुआ होता है । आप अपने अवचेतन मन को चुनौती दे कि जो अच्छा है उसे रख लो जो नहीं है उसे छननी से पानी की तरह छन जाने दो। आपका माइन्ड आपकी बात जरूर सुनेगा। कभी किताबें पढ़ते हुए मार्कर लेकर मत बैठिये । आप सैकड़ों किताबें पढेगें कहां तक आप अपने रिफ्रेन्स पाइण्ट हजारों पन्नों के मायाजाल में ढंुढते रहेगें। आपका दिमाग दुनिया का सबसे स्मार्ट मषीन है उससे काम लीजिये । हो सकता है थोड़े दिनों की मुष्किल हो आप कुछ पढ़ा हुआ याद करना चाहें और वो आपकों याद न आये। लेकिन एक बार Mind condition हो जायेगा तो चमत्कार (miracle) हो जायेगा।
जिस Situation पर आप कलम चलायेगें उससे मिलता-जुलता रिफ्रेन्स खुद ब खुद आपके दिमाग में बिजली की तरह कोंधता चला जायेगा और अचानक आप देखेगें आपके लिखने की Speed और Depth दोनों बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
मैं कहता हूं ये श्रुतलेख ( dictation) भगवान उनको नहीं देता जो हाथ में मार्कर ले के बैठते है। 5 मिस्टेक के मास्टर क्लास खतम हुई लेकिन इस क्लास में छुट्टी की घंटी अभी तक नहीं बजी है।
सुशील पोटाई