
वर्तमान समय की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में देखा जाता हैं कि लोगों को स्ट्रेस या एंग्जायटी का सामना करना पड़ जाता हैं। कुछ लोग इसे स्वीकार करके उचित इलाज पाते हैं तो कुछ इसे नजरअंदाज करके अपनी सेहत को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। खासतौर से महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं हैं। जी हां, डिप्रेशन के साथ रहने वाले लोगों में से 50% लोगों का इलाज नहीं किया जाता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि डिप्रेशन के कारणों को पहचानना मुश्किल होता है। ऐसे में आज इस कड़ी में हम आपको महिलाओं में दिखने वाले डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें नजरअंदाज ना करते हुए उचित इलाज लेने की जरूरत हैं।
आप जिन हॉबीज को पहले किया करती थीं, उन्हें करने में अब रुचि कम हो गई है, तो यह डिप्रेशन का शुरुआती लक्षण हो सकता है। आप कम बोलती हैं, अकेले रहना पसंद करती हैं, किसी से मिलने-जुलने का मन नहीं करता, तो इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें।
हर कदम पर भ्रमित होने की प्रवृत्ति, धीमी सोच, और बार-बार भूलने भी डिप्रेशन के सूक्ष्म संकेत साबित हो सकते है। हालांकि यह सच है कि निर्णय लेने में असमर्थता एक सामान्य मानव विशेषता है, लेकिन कई बार यह चिंताजनक साबित हो सकती है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कोई संज्ञानात्मक तरीके से कैसे काम कर रहा है। हालांकि कोई अवसाद के भी बिना अनिश्चित हो सकता है, फिर भी हर छोटी घटना पर अचानक निराशा हो जाना धीरे धीरे डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
अत्यधिक चिंता और अधिक सोचने हर समय कम आत्म-सम्मान का कारण बन सकता है। निरंतर तनाव के परिणामस्वरूप नकारात्मक दृष्टिकोण और आसपास के लोगों के प्रति प्रतिक्रिया के एक ऐसे भंवर में फंस जाता है। इस निरंतर निवास को अवसादग्रस्त रोमन कहा जाता है। यह लगातार होने की वजह से व्यक्ति अपने आप से प्रश्न पूछता है: “मैं ही क्यों?”, “मुझे इतना बुरा क्यों लगता है?”, “मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता?” “मैं इससे बेहतर क्यों नही हो सकता? ” “ मुझ ही इस तरह से क्यों व्यवहार किया जाता है? ” आदि। इसलिए, अपने आप को शांत रखना जरूरी है और सोचना पर ज़ोर नही देना चाहिये।
यदि आप पहले की तुलना में अब कम खाती हैं, फेवरेट फूड देखकर भी क्रेविंग नहीं होती है, तो इस लक्षण को गंभीरता से लें। कम खाने से आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। आप एनीमिया से ग्रस्त हो सकती हैं। भूख में कमी डिप्रेशन का लक्षण होता है।
कई बार कुछ महिलाओं को तनाव और डिप्रेशन के कारण पीरियड्स भी प्रभावित होते हैं। डिप्रेशन से लंबे समय तक ग्रस्त रहने से समय से पहले मेनोपॉज भी हो सकता है। यदि आपको दो-तीन महीने पीरियड्स नहीं होते, ब्लीडिंग कम होती है, तो इसे डॉक्टर से दिखा लें। हालांकि, इर्रेगुलर पीरियड्स के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिसमें प्रेग्नेंसी भी शामिल है।
डिप्रेशन के कारण रात में नींद नहीं आती है। यह बहुत कॉमन लक्षण होता है, उन लोगों में जिन्हें अवसाद की समस्या है। डिप्रेशन के कारण महिलाएं देर रात तक जागती रहती हैं, स्लीप साइकल प्रभावित होती है। कुछ स्टडीज में ये बात सामने आई है कि नींद न आने की समस्या अधिक सोचने, नर्वस रिस्पॉन्स, डिप्रेशन में हो सकता है। कई महिलाएं या पुरुष ऐसे भी होते हैं, जिन्हें बहुत नींद आती है या फिर बिल्कुल भी नींद नहीं आती।
बिना किसी वैध कारण के अत्यधिक गुस्सा भी मानसिक स्वास्थ्य गिरने का एक बड़ा संकेत होता है। एक साथी, सहकर्मियों, परिवार और मित्र, या यहां तक कि अजनबियों में निरंतर स्नैपिंग भी एक संकेत है। चिड़चिड़ापन या क्रोध भी आधे से अधिक लोगों के लिए एक गंभीर और दीर्घकालिक अवसाद का सामना करने का एक लक्षण है। इसके अलावा, अनैच्छिक जिद्दीपर एक और संकेत है, जो वयस्कों और बच्चों दोनों में देखा जा सकता है।
अवसाद से घिरी महिलाओं का आत्म विश्वास बहुत कम हो जाता है और वे अक्सर अपनी ही आलोचना करती हैं। बीते समय में जो हुआ अक्सर उन बातों को याद करके खुद को कोसती हैं। उन्हें हमदर्दी की तलाश होती है जिनसे वे अपने शकोसुबह साझा कर सकें।
अवसाद जब बहुत अधिक प्रभावित कर देता है तो मन में आत्महत्या तक करने का विचार आ सकता है। उन्हें अपने जीवन का कोई उद्देश्य नहीं दिखता। इस स्तर तक उनका अवसाद पहुंचे इससे पहले उन्हें चिकित्सा की बहुत जरूरत है।