बस्तर संभाग

राज्य अ.ज.जा. आयोग के सदस्य नितिन पोटाई अंबेडकर जयंती में शामिल हुए . . .

बस्तर मित्र/कांकेर।

कांकेर स्थित मड़ई भाटा में 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की 131 वी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के विभिन्न क्षेत्रों से समस्त अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर इस समारोह को प्रगति प्रदान की गई।

इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विधानसभा क्षेत्र कांकेर के विधायक एवं संसदीय सचिव शिशुपाल शोरी ने सभा को संबोधित करते हुए अपना विचार प्रस्तुत किया । विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने समाज में जातिगत भेदभाव के विरूद्ध अभियान चलाया। दलितों कोे सम्मान और अधिकार दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने मजदूरों और महिलाओं के अधिकारों की भी वकालत की। राज्य सरकार बाबा साहब के बताए मार्ग पर चल कर समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में बाबा साहब के लाखों अनुयायी उनका जन्मदिन उत्साह और श्रद्धा से मनाते हैं। देश के लिए बाबा साहब का योगदान अविस्मरणीय है।

इस अवसर पर नितिन पोटाई ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के संविधान निर्माण करने वाले महान विभूति को वह नमन करते हैं उन्होंने कहा कि अंबेडकर जी ने शिक्षित बनो संगठित बनो और संघर्ष करो कहा था इसमें मैं एक शब्द और जोड़ता हूं और वह है शिक्षित बनो संगठित बनो संघर्ष करो और आर्थिक रूप से मजबूत बनो क्योंकि जब तक आप आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होंगे अन्य समाज के साथ खड़े नहीं हो सकते।

श्री पोटाई ने अंबेडकर को महान समाजशास्त्री, दर्शन शास्त्री एवं अर्थ शास्त्री बताते हुए कहा कि वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। आज जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया संचालित हो रही है वह उन्हीं के विचारों की देन है उन्होंने कश्मीर के धारा 170 का हमेशा विरोध किया तथा समान नागरिक संहिता की बात की विवेक समतामूलक समाज के पक्षधर थे श्रमिकों के लिए भी उन्होंने कानून बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

श्री पोटाई ने कहा कि वे अपने आप को धन्य मानते हैं कि उनके परिवार से दादा राम प्रसाद पटेल जी संविधान के निर्माण में बाबासाहेब आंबेडकर के साथ कदम से कदम मिलाकर चला और अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ों के लिए कानून बनवा पाए। उन्होंने स्मरण दिलाते हुए कहा कि संविधान निर्माण के पूर्व विभिन्न जातियां अलग-अलग समूह में बटी हुई थी ऐसे अनेक जातियां जिनकी रीति रिवाज खान-पान रहन-सहन संस्कृति देवी देवताओं की पूजा अर्चना शादी मृतक संस्कार जन्म संस्कार एक जैसी थी उन्हें एक समूह में शामिल कर उन्हें अनुसूचित करने का कार्य चल रहा था। इस अंचल में आदिवासियों के साथ कलार महार कुम्हार कपर केवट आदि जातियां लंबे समय से साथ में रह रहे थे। वह समाज प्रमुखों के साथ मिलकर रामप्रसाद को हटाने उन्हें अनुसूची में शामिल होने को कहा था लेकिन इस विषय में अन्य समाज के प्रमुखों एवं पोटाई जी के बीच सहमति नहीं बनने से वे जातियां अनुसूची में शामिल होने से चुग गई वरना आज उन्हें आरक्षित वर्ग होने का लाभ मिलता।

इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष हेमंत ध्रुव, उपाध्यक्ष हेम नारायण गजबल्ला, अपर कलेक्टर सुरेंद्र कुमार वैद्य, एसडीएम धनंजय नेताम, तहसीलदार आनंद नेताम आयोजन समिति के अध्यक्ष रमा ठाकरे दर्रो, तरेन्द्र भंडारी, सोमनाथ जैन, राजेश भास्कर , नरोत्तम पटेल ,महेंद्र यादव, प्रदीप कुलदीप, रतन टांडिया, अनुसुईया सोनवानी , बीआर नायक एवं समाज के प्रमुख आदि उपस्थित थे।




About author

Mukesh Markam

निष्पक्ष पत्रकार



0 Comments


Leave a Reply

Scroll to Top