बस्तर मित्र न्यूज।
कलेक्टर चन्दन कुमार ने जिले के नागरिकों को बाल विवाह न करने और न ही बाल विवाह होने देने की अपील करते हुए कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है, जिसे जड़ से खत्म करना होगा। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन भी है। बाल विवाह के कारण बच्चों के पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार, इच्छा स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा पाने और हिंसा, उत्पीड़न व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है तथा कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है, साथ ही उनके सामने कुपोषण व खून की कमी की भी आशंका बनी रहती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अशिक्षित और अकुशल रह जाते हैं, जिससे उनके सामने अच्छा रोजगार पाने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है।
कलेक्टर चन्दन कुमार ने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार 21 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम आयु की लड़की का विवाह प्रतिबंधित है। कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, करता है, उसमें सहायता करता है या बाल विवाह को बढ़ावा देता है, उसकी अनुमति देता है अथवा बाल विवाह में सम्मिलित होता है, उन्हें 2 वर्ष तक का कठोर करावास अथवा जुर्माना जो कि 01 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह होने की सूचना ग्राम पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण समिति, अनुविभागीय दण्डाधिकारी, पुलिस थाना, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना कार्यालय, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सुपर वाईजर, ग्राम पंचायत के सरपंच, कोटवार इत्यादि को दी जा सकती है, इसके अलावा चाईल्ड हेल्प लाईन नंबर 1098 एवं महिला हेल्प लाईन नंबर 181 के माध्यम से भी सूचित किया जा सकता है।