कांकेर/बस्तर मित्र।
लाल ईट प्रतिबंध होने के बावजूद इन दिनों कांकेर जिले के कोटतरा, कोडेजुंगा, हाटकोंगेरा गांव में लाल ईंटों का अवैध कारोबार लगातार जारी है, जिससे लगता है खनिज विभाग की मनमानी इन अवैध लाल ईंटों के कारोबारियों को खुला समर्थन दे रखा है। साथ ही इन लाल ईंट के भट्टों पर जंगल के हरे भरे पेड़ भी भेंट चढ़ रहे हैं, जिस ओर वन विभाग के आला अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी है। जंगल को ऐसे अवैध कटाई से बचाना और ऐसे कारोबारियों पर जो वन संरक्षण अधिनियमों को ताक में रख उल्लंघन करने वालों पर उचित कार्यवाही करना किंतु यहां वन विभाग का कुछ दूसरा ही रूप देखने को मिल रहा है।
कई सारे पेड़ जेसीबी से पहले उखाड़े जाते हैं, उसके बाद मशीन से इसकी कटाई कर सीधे ईट भट्टों पर झोंके जा रहे हैं। यह पूरा मामला जिले के अंतर्गत ग्राम कोटतरा, कोडेजुंगा, हाटकोंगेरा का है जहां पर 10 से 20 कदम के बाद लाल ईंट भट्टों का मानो बाजार सजा हुआ है। ईटों की गुणवत्ता परखने के बाद आप एक दूसरे से सौदा तय करो और अपनी पसंद का लाल ईट जैसे भूसा से पका हुआ ईट व लकड़ी से पका हुआ ईट दोनों की खामी व खासियत आपको बता कर दूरी के हिसाब से सौदा किया जाता है। जहां एक व्यक्ति लगभग 3 से 5 भट्टों का अवैध कारोबार बेखौफ कर रहा है।
लाल ईंटों के भट्टे कोटतरा गांव में व ग्राम पंचायत कोडेजुंगा, ग्राम पंचायत हाटकोंगेरा में चल रहा हैं। जिस पर कोई उचित कार्यवाही नहीं होने से इन कारोबारियों के हौसले और भी बुलंद होते जा रहे हैं। गौर करने की बात है कि इनमें से अधिकांश ईट के भट्टों में जंगल व निजी जमीन के हरे भरे पेड़ भी इनकी भेंट चढ़ रहे हैं अवैध कारोबारियों का जब स्टिंग ऑपरेशन किया गया तो इसमें उनका कहना था कि लकड़ी से पके भट्टों की ईंटों की मांग ज्यादा रहती है, साथ ही इनकी अच्छी खासी रकम भी मिलती है।