बस्तर संभाग

कावड़े (सेवता, नाग) परिवार द्वितीय कार्यशाला संगठन की परिचर्चा . . .

कांकेर/बस्तर मित्र।

कार्यवाहक पदाधिकारीयों की सूची स्थान बड़गई तहसील फरसगांव जिला कोंण्डागांव बस्तर छ.ग. (1) संरक्षक श्री चैतराम कावड़े (डॉक्टर) ओरछा जिला नारायणपुर (2) श्री नकुल सेवता सेवा निवृत्त प्राचार्य जिला जगदलपुर बस्तर (3) श्री जे. आर. कावड़े बैंक प्रबंधक जुनवानी जिला कांकेर, अध्यक्ष - श्री श्यामसिंह सेवता उपसंचालक कृषि जिला जगदलपुर बस्तर, उपाध्यक्ष - श्री निर्मल नाग कन्हारगांव मरकडा जिला कोण्डागांव सुकमन कावड़े खडका नारायणपुर, रत्तु कावड़े, मातला बुढ़ खुरसे, आत्माराम कावड़े जिला बालोद, सितम्बर कावड़े, सचिव विनय सेवता गीतपहर जिला कांकेर, सहसचिव - रमेश नाग बड़गई , कोषाध्यक्ष - शिवशंकर कावड़े, मन्नूराम कावड़े मिडिया प्रभारी चनार जिला कांकेर, लक्ष्मण नाग बारदा, संचालक - सोपसिंग नाग मोदे मरकडा, दीपक कावड़े गांडागौरी।

यह देवता भूमि पर ही बने अपने आध्यात्मिक मुख्यालय पेन राऊड में निवास करता था। आज बस्तर में देवताओं के जन्म के चलन सारे बांध तोड़ चुके है। नया वंशी का उदय हो चुका है और पुराने विभजित हो गया है। वंश के पुजारी पेन पुरखा होता है। सभी जगह आत्मा मृतकों को वंश के पूर्वजों में मिलाने लाया जाता है। वर्तमान समय में इस वंश के कई पूजा स्थल है। इस गोत्र में 14 मण्डा एवं सात मानेय है। सात भाईयों कावड़े, दुग्गा, पोटाई, नुरुटी, कोला, धुरवा, एवं बुई है। जिसका टोटम चिन्ह नाग सर्प तथा घोड़ा है।

(1) बड़गई - जन्म स्थान

(2) तेलगा - तेल लगता है।

(3) मुले - रात रुकता सोता है।

(4) वर्तनार - नाश्ता चिवड़ा खाता है।

(5) पलोरमटा - दूध पीता झुलना झुलता है।

(6) बुढ़ा खुडसे - गद्दी बैठता है।

बुढ़ादेव: बुढ़ा खुरसे कालवक्डे (रामे) मुंडारी डोकरी बण्डापाल, बोदाम डोकरी, पुगारपाल, बम्हनीन डोकरी एडका पुराड डोडरी कोटाकोड, देव लाल कुवंर कोच्चे मुदिया, कोरची कुंवर, लाट कुंवर, डुढ़ी कुंवर, राज कुंवर, बाल कुंवर भूल कुंवर यह बस्तर के अलग-अलग हिस्सों में प्रचलित प्राचीन लोक कथाओं में बस्तर के कोण्डागांव जिला के अन्दर ग्रामीण अंचल परिवेश में बसा है।




About author

Mannu Ram Kawde

पत्रकारिता के लिए समर्पित . .



0 Comments


Leave a Reply

Scroll to Top