कांकेर/बस्तर मित्र।
पुलिस अधीक्षक कांकेर शलभ कुमार सिन्हा के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोरखनाथ बघेल, उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय डॉ.अनुराग झा एवं अनुविभागीय अधिकारी पुलिस डॉ. चित्रा वर्मा के पर्यवेक्षण में ग्रामीण बैंक शाखा माकड़ी के खाता धारकों से रुपयों का आहरण कर गबन करने वाले आरोपी बैक कर्मी को गिरफ्तार किया है।
मामले का विवरण है कि प्रार्थिया कालीबाई साहू पति फगुराम साहू उम्र 55 वर्ष निवासी भवंरमारा जिला राजनांदगांव थाना कांकेर कोतवाली कांकेर में रिपोर्ट दर्ज कराया की प्रार्थिया ग्रामीण बैंक माकड़ी स्थित बचत खाते से दिनांक 04/02/16 से 19/02/17 तक अज्ञात व्यक्ति द्वारा खाते में हेराफेरी एवं धोखाधड़ी कर ATM जारी कराकर कुल 40200 आहरण कर दिया है प्रार्थिया की रिपोर्ट पर जांच उपरांत दिनांक 07/02/19 को थाना कांकेर में अज्ञात आरोपी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था।
थाना कांकेर पुलिस द्वारा प्रकरण की कायमी उपरांत विवेचना के दौरान विवेचना में जानकारी प्राप्त हुई कि बैंक में कैशियर के पद पर पदस्थ आरोपी द्वारा ग्राहकों के खातों में धोखाधड़ीपूर्वक अनाधिकृत लेन देन निष्पादित किये गये है आरोपी ने जानबूझकर अनाधिकृत रूप से निष्क्रिय खाते को धोखाधड़ी के उद्देश्य से सक्रिय खाते में परिवर्तित कर ग्राहक के खाते में कस्टमर डिटेल , केवायसी एवं मोबाईल नम्बर आदि अनाधिकृत रूप से परिवर्तित कर अन्य शाखा प्रवास के दौरान एटीएम कार्ड को बेईमानी से प्राप्त किया तथा अनाधिकृत एवं बेईमानी पूर्वक ग्रामीण बैंक शाखा माकड़ी के ग्राहक खाताधारक कालीबाई साहू के खाते में फर्जी रूप से आवेदन कर एटीएम जारी कराया तथा आरोपी ने एटीएम कार्ड के माध्यम से अनाधिकृत आहरण रू 40,200 / - का किया , आरोपी विनय कांत त्यागी मूल रूप से आगरा उत्तर प्रदेश का रहने वाला है।
आगरा विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में स्नातक है प्रकरण में साक्ष्य संकलित होने पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया पूछताछ में आरोपी ने अपराध की स्वीकारोक्ति करते हुए बताया कि वह 07 नवम्बर 2015 को ग्रामिण बैंक शाखा माकड़ी में कार्यालय सहायक के पद पर पदस्थ था , आरोपी ने अपनी तकनिकी सेवा की विशेषज्ञता का अनुचित लाभ उठाकर ग्रामीण बैंक शाखा माकडी के कई बैक खाता से अनुचित ढंग से पैसे का आहरण कर गबन किया है आरोपी ने पुलिस को जानकारी दिया की शाखा के अंतर्गत हजारो खाता धाराक अकाउण्ट होता है उनमें से कुछ खाता धारक वर्षों से अपने बैंक खाते का परिचालन नहीं करते हैं बैंक का सिस्टम उन खातों को लेन-देन नहीं होने के कारण निष्क्रिय कर देता है निष्क्रिय खातों को दुबारा शुरू करने के लिए उसमें दुबारा रकम जमा अथवा आहरण करना पड़ता है , एवं उसके बाद कार्यालय सहायक अथाव शाखा प्रबंधक निष्क्रिय खातों को दोबारा एक्टीवेट कर सकते हैं , आरोपी ने बैंक में उसी तरह के निष्क्रिय खातों की लिस्टींग की थी जिसमें प्रार्थीया कलिबाई साहू का खाता भी था , जिसमें 40200 रूपए था , आरोपी में प्रार्थिया के खाते में निकाशी पत्र में कलिबाई का फर्जि हस्ताक्षर कर दिनांक 04.02.2016 को पाँच सौ रूपए नगदी रकम आहरण कर लिया था , जिससे की प्रार्थिया का खाता दुबारा एक्टीवेट हो गया था।
उसके बाद आरोपी ने अपने तकनीकी ज्ञान का गलत तरीके से उपयोग कर अपने कम्प्युटर सिस्टम से प्रार्थीया के खाते का एटीम जारी करने का आवेदन किया , जिसको बैंकिग भाषा में क्यू जनरेट करना कहा जाता है , आरोपी ने तत्कालिन शाखा प्रबंधक को बोलकर के कलिबाई के खाता में एटीम एक्टीवेट एवं जारी करवा दिया था , तथा आरोपी ने एटीएम जारी होने का रिकार्ड बैंक के रजिस्टर में इन्ट्री नहीं किया था , तथा उस एटीएम के माध्यम से मैने कलिबाई के खाते से दिनांक 24.06.2016 से 19.02.2017 के मध्य कुल 40200 रूपए विभिन्न माध्यमों से आहरण कर गबन कर लिया था प्रार्थी या को जब खाते की जांच करने पर जानकारी हुआ कि उसके खाते से बिना उसकी सहमती के 40200 रू आहरण हुआ है और प्रार्थिया ने इसकी शिकायत दर्ज कराई है इस बात की भनक लगते ही आरोपी ने पकडे जाने का अन्देशा होने पर, प्रार्थी या के खाते में 40200 रूपए दिनांक 04.09.2017 को अंतरित करा दिया था।