बस्तर मित्र/कांकेर।
तकरीबन 2500 वर्ष पहले आज ही के दिन उस सूर्य का जन्म हुआ था जिन्होंने हमेंशा-हमेंशा के लिये मानवता की राहें अवलोकित कर दी। आप सबको बुध्द पूर्णिमा की बहुत-बहुत बधाई।
कल और आज के बीच कैलेण्डर पर सिर्फ तारीख बदली है लेकिन ये तारीख ऐसा है कि भारत वर्ष के इतिहास से सिर्फ ये तारीख ये एक दिन, सिर्फ आज का दिन मिटा दिया जाये तो शायद ये दुनियां हमें विश्व गुरु मानने से संकोच करने लगेगी। ये वो धरती है जिसमें राम और कृष्ण जैसे अवतार और महावीर आदि शंकराचार्य जैसे युग पुरुष जन्में हैं। लेकिन एक बुध्द न होते तो हमारी सनातन सम्पदा अधूरी रह जाती। हम अध्यात्मिकता की उस शिखर की अलक को हम कभी न पाते जहां पहुंचकर हम विश्व गुरु कहलायें।
बुध्द 563 बी.सी. में हुए लेकिन उनकी बातें 2022 की हैं बुध्द की सबसे बड़ी मिस्ट्री यह है कि वो 2500 पहले कि काल खण्ड से बोल रहें हैं लेकिन उनकी भाषा आज की है। उनके सूत्र आज के हैं। ओशो बुध्द को विश्व का पहला धर्म वैज्ञानिक कहते थे। The first religion scientist क्योंकि बुध्द ने religion को Retinol से हमें से परे कभी नहीं माना वो कभी नहीं कहते थे कि मैं जो कह रहा हूं वही सच है उसी पर श्रध्दा रखो मैंने जो कहा वो मेरा सच है अपना सच खुद ढूंढं। मैं तुम्हें सच का बना बनाये पैकेट देने के लिये नहीं बैठा हूं एक इशारा करुंगा, ऊंगली दिखा दूंगा रास्ते पे चलना और गंतत्व ढुंढना तुम्हारा काम हैं।
शाक्य वंश का राजकुमार सिध्दार्थ गौतम बुध्द बना क्यूं..? क्योंकि वह दुःख स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं था। वो दुःख की जड़ो तक पहुंचकर उसे हमेंशा के लिये समाप्त कर देना चाहता था। बुध्द का बेसिक सूत्र बहुत ही सरल है। उनके पूरे शोध का निचोड़ है -
‘‘दुःख समुदाय निरोध मार्गस्य द्वार, आर्य बुध्दत्व भिन्तानी तत्वानी..’’
अर्थ - संसार दुःख में है दुःख का धारण है तृष्णा, लालच और दुःख का उपाय संभव है। कहा है कि हमारे दुःख की जड़ो तृष्णा में जब तक लालच है तुम राजा बनकर भी गरीब की तरह रहोगे और लालच नहीं है तो गरिबी में भी राजा की तरह आनन्द से जीवन बिताओगे।
बुध्द और काश्यप
बुध्द का एक शिष्य हुआ था पूर्ण काश्यप शिक्षा पूर्ण होने पर बुद्ध ने काश्यप को कहा कि लोगों की बीच जाकर दिशाटन कर और मेरा उपदेष का प्रचार करो। कश्यप् ने बिहार के सूखा नामक स्थान से अपनी यात्रा प्रारम्भ करने की बात कही। बुद्ध ने कहा कि वहां के लोग बहुत दुष्ट है, जंगली हैं वहां मत जाओ। काश्यप ने कहा-जहां के लोग दुष्ट हैं, जँगली हैं वहीं शिक्षा की ज्यादा जरूरत ही मैं वहीं जाऊँगा।
तब बुध्द ने कहा -
(1) अगर वहाँ लोग तुम्हे गालियां देनें लगें तो, काश्यप ने कहा कि मैं उन्हें धन्यवाद दूंगा कि मारे नहीं।
(2) और अगर मारने लगे तो काश्यप ने कहा धन्यवाद दूँगा की जान से तो नहीं मारे ।
(3) अगर वो जान से मारे दे तो, काश्यप ने कहा धन्यवाद कि मुझे जीवन से छुटकारा दिला कि जिसमें कोई भुल-चूक हो सकती थी, गलती हो सकती थी, कोई पाप हो सकता था। अब मैं निर्दाेष ही गया, पवित्र हो गया।
-बुद्ध मुस्कुराये और कहा जा --- अब तेरा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता।
- खुश रहने का माँग यही तो है हर अँधेरे में उजाले की एक किरण ढूंढ लेना, हर आपदा में एक अवसर ढूंढ लेना, हर दुख में सुख की लकीर ढूंढ़ लेना।। एक बार फिर आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की आकाश भर बधाई!
‘‘‘सुशील पोटाई...