बस्तर मित्र/कांकेर।
जिले के सबसे बड़े मवेशी बाजार मुसुरपुट्टा में खरीदी बिक्री के लिए लाए जा रहे मवेशियों के साथ हो रही क्रूरता को देख रूह कांप जाएगी। बिना पानी चारा के वाहनों में ठूंस-ठूंस कर लाए जा रहे मवेशी दम घुटने व मार से बेहोश हो रहे हैं। कराहते बैलों के पैरों में कील ठोक उन्हें यातनाएं दी जा रही है। हद तो तब हो जाती है जब यहां पहुंची गर्भवती गाय यदि किसी बछड़े को जन्म दे तो खरीददार बछड़े को जंगल में ही मरने छोड़ जाते हैं कारण उसे यहां से पैदल दूसरी जगह ले जाने में दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। यह सब चोरी छुपे नहीं बल्कि खुलेआम हो रहा है इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग व बात-बात पर शोर मचाने वाले झंडा वरदार भी खामोश है।
मुसुरपुट्टा में हर बुधवार इलाके का सबसे बड़ा मवेशी बाजार भरता है। बाजार ग्राम पंचायत लगाता है। बाजार का ठेका भी दिया जाता है। यहां कांकेर जिले के अलावा आसपास के जिलों धमतरी कुंडा गांव गरियाबंद बस्तर के अलावा सीमावर्ती ओडिशा से भी सैकड़ों की तादाद में पशुओं को बेचने लाया जाता है। इस बुधवार को भी ऐसा ही नजारा बाजार में दिखा। यहां धमतरी जिले से लाए मवेशियों को एक वाहन में ठूंस ठूंस कर भरा गया था नियम विपरीत वाहन में वृद्ध व बीमार मवेशी बाजार में बेचने लाए गए थे।
इन्हें ना पानी दिया गया और ना ही भोजन। वाहन में ठूस-ठूस कर भरे जाने से कई गाय बेहोश हो गई थी। क्रूरता पूर्वक रस्सियों से बांध खींचकर वाहन से नीचे गिराया गया। बैल को बांध अप्रशिक्षित व्यक्ति उसके पैर में कील ठोक रहा था।
पंचायत व ठेकेदार का सिर्फ कमाई पर ध्यान -
मुसुरपुट्टा के मवेशी बाजार का साल भर के लिए 48 लाख रुपए में ठेका हुआ है। बालोद जिला के पीपरछेड़ी निवासी घनश्याम साहू ने ठेका लिया है। पंचायत व ठेकेदार दोनों पशुओं पर हो रहे क्रूरता को नजरअंदाज कर सिर्फ कमाई पर ध्यान दे रहे हैं। जिस ठेकेदार को पंचायत में ठेका दिया है उसका कांकेर जिला में रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। कांकेर में उप संचालक पशु विभाग में जिले के ही सिर्फ 3 लोगों का ही पंजीयन है जिसमें उक्त ठेकेदार का नाम नहीं है।