

कोरिया जिले में वनोपज प्रचुरता से उपलब्ध है। वनसम्पदा से भरपूर जिले में महिलाओं के द्वारा माहुल के पत्तों से से दोना-पत्तल बनाया जा रहा है। वनधन केन्द्र सोनहत में संचालित इस आजीविका के माध्यम से एकता महिला स्व-सहायता समूह को एक लाख रूपये से अधिक की आमदनी भी हुई है।
महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने हेतु कोरिया वनमण्डल बैकुन्ठपुर के सोनहत परिक्षेत्र में स्थित वनधन केन्द्र में एकता महिला स्व-सहायता समूह दोना पत्तल बनाकर आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है। स्व-सहायता समूह के द्वारा 01 वर्ष में एक लाख 15 हजार रू. का कीमत के दोना-पत्तल का विक्रय किया गया। जिससे समूह को 70 हजार रूपये तक का लाभ प्राप्त हुआ है। वन विभाग द्वारा समूह को दोना-पत्तल बनाने के लिए मशीन भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे कम मेहनत में अधिक निर्माण करने में महिलाएं सक्षम हुई हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर पारिवारिक कार्यक्रमों, सामाजिक कार्यक्रम, उत्सवों में दोना-पत्तलों का उपयोग किया जाता है। स्थानीय बाजार और दुकानों में इनकी मांग भी रहती है और महिलाओं के हाथों से बनाए गए दोना-पत्तल हाथों-हाथ विक्रय हो जाता है। कीमत कम होने के कारण इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है। समूह की 10-12 महिलाएं मिल करके दोना-पत्तल बनाने का कार्य कर रही हैं और विक्रय से इनको अच्छा-खासा मुनाफा भी मिला है।