जीवन दर्शन

आप अपने जीवन को ठीक कर सकते है . . .

बस्तर मित्र/कांकेर।

साथियों ! लोगों को गलत फहमियाँ होती है कि जो कुछ भी उसके साथ बुरा हो रहा है वो उसके नियंत्रण में नहीं है, वो सब दूसरों के वजह से होता है। जैसे यदि एक्सीडेंट हुआ तो दूसरी गाड़ी वाले की गलती है, अगर मूड खराब है तो तुमसे गलत तरीके से बात करने वाले की गलती ,पैसे कम है तो बॉस की गलती, लाइफ बुरी चल रही है तो भगवान की गलती बताते है। हम हमारी जीवन की परिस्थितियों को दूसरों की गलती से जोड़कर देखते है। लेखिका लुईस हे कहतीं है कि सारी बुरी आदते और परिस्थितियां हम खुद अपने जीवन में आकर्षित करते है। हमारे विचार बहुत शक्तिशाली होते है जैसे हम सोचते है, वैसे ही परिस्थियां हमें वास्तविक जीवन में देने लगते है।

जैसे - अगर आप यही सोचोगे कि लोग आपको निकृष्ट समझेंगे तो आप कोई काम सही तरीके से नहीं कर सकते और आप किसी चीज के लायक ही नहीं हो तो धीरे धीरे ऐसी ही परिस्थितियां आती जायेगी । आपको सही साबित करने के लिये अगर आप सोचोगे की आप लायक हो तो आप हर बाजी जीत जाओगे तो ऐसी ही परिस्थितिया बनने लगेगी। अगर आपकी जिन्दगी बुरी चल रही है, कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा तो ये आपके बुरे विचार के वजह से हो रहा है न कि दूसरो की वजह से । जैसे ही आप अपने विचारों को बदल देंगे तो ये सारी बुरी परिस्थिति अपने आप खत्म हो जायेगी।

लेखिका ने अपने विचारों की मदद से कैंसर जैसी बड़ी बीमारी को हरा दिया था। लेखिका कहतीं है कि अब बस आपको मानसिक पैटर्न को बदलने की जरूरत है। वो बताती है कि अपराधबोध, डर और अलोचना जीवन में बुरे परिस्थियों को और भी बढ़ा देती है। इन सारी भावनाओं की वजह से हम मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होते रहते है। लेकिन एक तरीका है जिससे आप इन सारी बुरी भावनाओं से बाहर निकलकर एक अच्छी जिन्दगी बिता सकते है वो है स्वयं से प्रेम करना, खुद की सोच से प्रेम, खुद ही हर चींज से प्रेम करना, यहां लेखिका स्वयं सेे जुड़ने को कह रही है, बिना शर्त और सकारात्माक भावनाओं सेे प्रेम करने को कह रही है। जब हम छोटे होते है एक बेबी की तरह हम खुद को सम्पूर्ण मानते है और अपराधबोध, डर, अलोचना जैसे भावनाओं से बहुत दूर रहते है। बच्चे कोई काम करने या करवाने से डरते नहीं है जब वो रोते है तो घर के अलावा पड़ोसियों तक को पता चल जाता है वो अपनी भावनाओं को खुलकर अभिव्यक्त करते है।

हम सब छोटे थे तो इन बच्चों की तरह ही थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों की नकारात्माक बातों और धारणाओं पर विश्वास करके अपने उत्तम अवस्था को छोड़ने लगते है और जो आज हैं वो बन जाते है और खुद से नफरत करने लगते है, यहीं स्वयं से नफरत करना बुरी अनुभव को जन्म देता है तो सीधी बात यह है यदि आप अपने जीवन को बदलना चाहते है और खुश रहना चाहते है तो अपने अपराधबोध, डर, अलोचना के विचार को बदलकर स्वयं से प्रेम के विचारांे का बीज बोना होगा। जितना स्वयं से प्रेम बढ़ेगा उतना ही अच्छा अनुभव होगा। ये आप Affirmation के मदद से बहुत प्रभावशाली ढंग से आपके विचारों को बदल देते है। कुछ लोग पैसा कमाने से ज्यादा इस बारे में ज्यादा सोचते है कि कहीं उनके पैसा खत्म न हो जाय या और कम न हो जाय। इसी वजह से या तो वे और गरीब हो जाते है या वहीं के वहीं रह जाते है। अपने सकारात्माक विचार को Affirmation से विस्तार करो और नकारात्माक विचार को कम करो। लेखिका कहती है कि खुद से प्रेम करने के लिए आपको दूसरो के साथ-साथ खुद को भी माफ करना होगा।

Forgiveness का मतलब है moving on past को भूलकर present को accept करना होगा । हमे इस बात से जागरूक रहना होगा जिसे भी हम माफ कर रहे है वो उस समय की समझ, जागरूकता और ज्ञान के हिसाब से अपना बेस्ट दे रहे थे। forgive others and also your self ये सारी पॉवर फुल बाते मैंने लुईस हे के बेस्ट सेलिंग बुक “YOU CAN HEAL YOUR LIFE ” से बताई है।

सुशील पोटाई . . .




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LAXMI JURRI

पत्रकारिता के लिए समर्पित...



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