बस्तर मित्र/कांकेर।
आर्थराइटिस यानि जोड़ों का दर्द जिसे गठिया भी कहा जाता है। पहले आम तौर पर ये समस्या 50 वर्ष के ऊपर के लोगों को होती थी लेकिन अब कम उम्र के लोगों को भी ये समस्या हो रही है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में जोड़ों में दर्द और इसके कारण सूजन बनी रहती है। लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव होने के कारण हमारे शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है और यह बढ़ा हुआ स्तर जोड़ों में दर्द का बनता है। गठिया रोग वैसे तो कई प्रकार के होते हैं लेकिन दो प्रकार के अर्थराइटिस की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। ऑस्टियो अर्थराइटिस (Osteoarthritis) और रूमेटाइट अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) से लोग ज्यादा पीड़ित होते हैं।अर्थराइटिस की बीमारी वंशानुगत तौर पर भी होती है, अगर परिवार में किसी को अर्थराइटिस है तो इसकी भावी पीढ़ी को भी होने की संभावना रहती है। अर्थराइटिस के कारण कोई भी हो मौसम के बदलने का इस पर काफी असर पड़ता है। बारिश के मौसम में यह परेशानी और बढ़ जाती है ऐसे में इसे कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।
क्या है कारण?
जोड़ों में कार्टिलेज नाम का एक टिश्यू होता है जो हड्डियों के लिए कवर का काम करता है इसके नष्ट हो जाने के बाद हड्डियां रगड़ खाने लगती हैं और इससे दर्द होने लगता है। इसी बीमारी को गठिया कहते हैं। यह अनुवांशिक भी हो सकती है। इसके अलावा मोटापा और संक्रमण के कारण भी गठिया की बीमारी हो सकती है। पहले 50 वर्ष के बुजुर्गों को ही ये बीमारी होती थी पर आजकल ये युवाओं को भी हो रही है। इस बीमारी के मरीजों को चलने, उठने बैठने तक में काफी परेशानी आती है। हड्डियों के जोड़ों में यूरिक एसिड जमा हो जाने या फिर हड्डियों में कैल्शियम की कमी से भी जोड़ों में सूजन या अकड़न आ जाती है। इससे जोड़ों में गांठ जैसा महसूस होने लगता है। इस बीमारी में जोड़ों में मौजूद टिश्यू टूटकर गिरने लगते हैं इसी अवस्था को गठिया कहा जाता है।
गठिया के लक्षण
इससे जल्दी थकान होने लगती है। - पीड़ित व्यक्ति को बार-बार बुखार आता है। - शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन के साथ-साथ दर्द शुरू हो जाता है। सुबह के समय ये समस्या ज्यादा होती है जिससे चलने फिरने में दिक्कत होती है। - जिस जोड़ में गठिया हुआ है वहां पर भारीपन का एहसास होता है। - प्रभावित जगह लाल रंग की हो जाती है और शरीर का इम्यून सिस्टम भी खराब हो जाता है।
लहसुन
शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने से अर्थराइटिस या जोड़ो में दर्द की समस्या होती है। ऐसे में लहसुन की मदद से यूरिक एसिड को कम किया जा सकता है। लहसुन की 3-4 कलियों का रोज सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसके स्वाद को थोड़ा बेहतर करने के लिए इसमें सेंधा नमक, हींग और जीरा आदि मिला सकते हैं। इसलिए अगर आप गठिया के मरीज हैं तो आपको नियमित तौर पर लहसुन खाना चाहिए।
अदरक
अदरक के सेवन से अर्थराइटिस रोग में होने वाली जोड़ों के दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है। दरअसल, अदरक में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी के गुण प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। यह शरीर में से यूरिक एसिड को कम करता है। साथ ही अदरक का तेल जोड़ों पर लगाने से दर्द में राहत भी मिलती है।
अजवाइन
अजवाइन में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसके नियमित सेवन से यूरिक एसिड की समस्या से निजात मिल है। अजवाइन को रातभर पानी में भिगोकर रखें और अगले दिन इस पानी का सेवन करने से गठिया के दर्द में राहत मिलती है।
हल्दी
हल्दी में कई रोगों के उपचार की शक्ति मौजूद हैं। इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन एक प्राकृतिक दर्द निवारक है। आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से राहत मिलती है। आप दो-तीन ग्रीम हल्दी को पानी में डालकर भी पी सकते है। हल्दी का तेल भी काफी फायदेमंद है। इसमें सूजन को बढ़ने से रोकने और फंगस को रोकने वाले गुण मौजूद है।
मेथी
हड्डियों के सूजन व दर्द को कम करने में मैथी का सेवन फायदेमंद रहता है। दरअसल, मेथी को एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी आर्थराइटिक का प्रमुख स्रोत माना गया है। इसमें सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी होता है। आप मैथी के दानों को पानी में उबाल लें। अब इस पानी को छान कर उसमें नींबू व शहद मिला दें और इसे दिन में 4 से 5 बार चाय की तरह पीएं। इसके अलावा आप मेथी के दानों को पीसकर पाउडर बनाकर इसे सूप में डाकर भी पी सकते हैं। इसके अलावा इसे भिगो कर अंकुरित कर स्प्राउट की तरह भी खा सकते हैं।