कोण्डागांव/बस्तर मित्र।
दक्षिण कोण्डागाँव वनमंडल अंतर्गत भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली के निर्देशानुसार नगरपालिका क्षेत्र से लगे वन क्षेत्रों को संरक्षित करने एवं जन सामान्य में वनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से नगर वन के रूप में विकसित किये जाने हेतु नगर वन परियोजना का प्रारंभ आजादी के 75वीं वर्षगांठ में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत संपूर्ण देश में 75 नगर वन स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। जिसके तहत छत्तीसगढ़ शासन वन विभाग के माध्यम से दक्षिण कोण्डागांव वनमंडल के द्वारा नगरपालिका क्षेत्र से लगे वनक्षेत्र वन कक्ष क्रमांक पी-449 कोपाबेड़ा कक्ष का चयन कर परियोजना प्रस्ताव भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली को प्रेषित किया गया था। जिसका चयन संपूर्ण देश में चयनित 75 नगर वन परियोजना में से दक्षिण कोण्डागांव वनमंडल नगरपालिका क्षेत्र कोण्डागांव को भी सूची में शामिल किया गया है।
जिसका भव्य शुभारंभ केन्द्रीय मंत्री पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली भूपेन्द्र यादव के करकमलों द्वारा वर्चुअल रूप से शुक्रवार को नगर वन परियोजना ‘हरियाली महोत्सव‘ के रूप में किया गया। जिसके तहत प्रस्तावित नगर वन परियोजना क्षेत्र कक्ष क्रमांक पी-449 कोपाबेड़ा में नगरपालिका परिषद कोण्डागांव के नगरपालिका अध्यक्ष हेमकुंवर पटेल, नगरपालिका उपाध्यक्ष जसकेतु उसेण्डी, नेता प्रतिपक्ष तरूण गोलछा एवं नगरपालिका परिषद के अन्य पार्षद, एल्डरमेन एवं शहर के गणमान्य नागरिक, जन प्रतिनिधि तथा मीडिया प्रतिनिधियों की उपस्थिति में 75 नग विभिन्न फलदार पौधों का रोपण कर किया गया। इस कार्यक्रम में वनमंडलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता द्वारा नगर वन परियोजना के विषय पर बताया गया।
नगर वन परियोजना नगरपालिका क्षेत्र से लगे वनक्षेत्रों में हो रहे अवैध अतिक्रमण, अवैध कटाई, अवैध उत्खनन से संरक्षित किये जाने एवं जैविक दबाव के बींच धराशायी हो रहे वनों के संरक्षण के प्रति जन सामान्य में जागरूकता लाने के उद्देश्य से पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के द्वारा नगर वन परियोजना लागू की जा रही है। जिससे आने वाली भावी पीढ़ी के लिये हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकें। नगर वन परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित स्थल में विभिन्न प्रकार के वानिकी, फलदार, आस्थामूलक, औषधीय एवं विलुप्त हो जा रही प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जायेगा साथ ही प्रस्तावित क्षेत्रा फेंसिंग के माध्यम से घेरा तैयार कर सुरक्षित करते हुए क्षेत्रा को वन चेतना केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा।