कांकेर/बस्तर मित्र
आज विश्व आदिवासी दिवस है। छत्तीसगढ़ में जगह-जगह इसके आयोजन की तैयारियां हुई हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषण की है। कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन की वजह से सरकारी स्तर पर कोई बड़ा आयोजन नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री निवास में केवल एक वर्चुअल समारोह होगा।
विश्व के सभी देशो में से कई देश ऐसे है जहंा पर आदिवासी जाति का निवास हैं। हमारे भारत की बात करे तो भारत में भी कई हिस्सों में आदिवासी लोग रहते हैं। आदिवासियों का रहन-सहन, खान-पान और रीति-रिवाज और पहनावा आदि बाकी अन्य लोगों से अलग होता है। समाज के मुख्यधारा से कटे होने की वजह से दुनियाभर में आदिवासी लोग आज भी काफी पिछड़े हुए हैं। हालांकि, समाज को मुख्यधारा से जोड़ने और आगे बढ़ाने के लिए देश-दुनिया में तमाम तरह के सरकारी कार्यक्रम और गैर-सरकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे है। भारत की बात करें तो देश की आजादी में आदिवासी समाज के लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आजादी की लड़ाई में बिरसा मुंडा ने झारखंड और छोटानागपुर क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाई थी।
अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है ?
विश्व के लगभग 90 से अधिक देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। दुनियाभर में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है, जिसमें लगभग 5000 अलग-अलग आदिवासी समुदाय है और इनकी 7 हजार भाषाएं है। आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पुरे विश्व में आदिवासी जनजाति को बढ़ावा देने और उनको प्रोत्साहित करने के लिए और उनको सम्मान देने के लिए पुरे विश्व में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता हैं। पुरे विश्व में इस दिन इस दिवस को मनाने के लिए सबसे पहली बार शुरुआत सयुंक्त राज्य अमेरिका में 1994 में मनाया गया था। पुरे विश्व में इस दिन एक साथ विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता हैं।