बस्तर मित्र/कांकेर।
छ.ग. राज्य लघुवनोपज सहकारी संघ का 23 वें वार्षिक साधारण आमसभा 23 दिसम्बर को नवा रायपुर के वनधन भवन में सम्पन्न हुई । इस बैठक में 31 जिला सहकारी संघ के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सहकारिता के त्रिस्तरीय ढांचे में लघु वनोपज संघ, प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों एवं जिला वनोपज सहकारी यूनियनों की शीर्ष सहकारी संस्था सम्मलित है, जिसका कार्य क्षेत्र पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य वनभूमि क्षेत्र होने के कारण यहां पर लघु वनोपज होने का बाहुल्य है। इस राज्य वनोपज संघ के महत्वपूर्ण आमसभा के दौरान राज्य लघुवनोपज संघ के प्रदेश प्रतिनिधि एवं अध्यक्ष, जिला वनोपज संघ नितिन पोटाई ने अपने उदबोधन एवं सुझाव में कहा कि तेंन्दुपत्ता के संग्रहण में रीड की हड्डी माने जाने वाले फड़मुंशियों को 12,000/- रूपये वार्षिक मानदेय प्रदान किया जाये । वर्तमान में फड़मुंशियों को कमीशन के रूप में रू. 7,200/- ही मिलते हैं। यदि कमिशन की राशि उससे ज्यादा होता है तब भी उन्हें उक्त रूपयों में से काट कर रू. 7,200/- ही प्रदाय किया जाता है जो न्यायसंगत नहीं है।
श्री पोटाई ने आगे कहा कि तेंदुपत्ता संग्रहण काल में फड़ अभिरक्षक की नियुक्ति संचालक मंडल के सदस्यों में से ही किया जाय । वर्तमान में फड़ अभिरक्षक का कार्य मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पंचायत सचिवों का सौंपा गया है, जो न तो तेंदूपत्ता के संग्रहण कार्य में रूचि दिखाते है और न ही ठीक ढंग से तेंदुपत्ता संग्रहण केन्द्रों का निरीक्षण करते हैं। जबकि प्राथमिक एवं जिला स्तरीय वनोपज सहकारी समिति के सदस्य पूर्ण निष्ठा के साथ तेंदुपत्ता के संग्रहण में संलग्न रहते हैं। उन्हें फड़ अभिरक्षक के रूप में नियुक्त किय जाने से उन्हें न केवल मानदेय के रूप में रू. 2,250/- मिलेंगे वरन् वे तेंदुपत्ता संग्रहण कार्य को और बेहतर तरीके से करेंगे।
श्री पोटाई ने आगे कहा कि प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में नियुक्त प्रबंधकों का नियमितिकरण किया जाय । वे इन समितियों में लम्बे समय से कार्य कर रहे हैं लेकिन उनको नियमितिकरण नहीं हो पाया है। प्राथमिक समितियों के प्रबंधकों को वेतन में बढ़ोतरी हो एवं रिटायमेंट के बाद उनके जीविकोपार्जन के लिए एक मुश्त राशि प्रदान किये जाने की व्यवस्था हो। प्रत्येक प्राथमिक समितियों में चौकीदार रखने हेतु वव्यस्था की जाय । श्री पोटाई ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को बने हुए 22 वर्ष पूर्ण हो चुके है लेकिन अभी भी राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ का उपविधि पुराने नीतियों के आधार पर ही संचालित हो रही है जबकि समय के साथ इसमें परिर्वतन की आवश्यकता है। अतः संघ के उपविधि में संषोधन किया जाय साथ ही संचालक मण्डल के सदस्यों की संख्या 06 से बढ़ाकर प्रत्येक वनवृत्त से 02-02 सदस्य लिये जाये।
प्राथमिक समितियों में पर्याप्त बजट की व्यवस्था की जाय। कई प्राथमिक समिति के कार्यालय जर्जर समिति में हैं। कई वर्षों से भवन की लिपाई-पोताई भी नहीं हुई है। संस्थाओं में कम्प्यूटर खराब है। बिजली बिल हेतु पर्याप्त पैसा नहीं है। प्राथमिक समितियों में बाउण्ड्रीवाल, पीने के पानी के लिए हेडपम्प एवं शौचालय की व्यवस्था हो। प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के प्रबंधक के सहायक के रूप में कम्प्यूटर ऑपरेटर की व्यवस्था की जाय, क्योंकि प्रबंधक को लघु वनोपज संग्रहक परिवारों के बीमा, बोनस छात्रवृत्ति, बीमा प्रकरण आदि प्रकार के कार्य करने होते हैं। स्व-सहायता समूह के माध्यम से अन्य वनोपज की खरीदी की जाती है, लेकिन वे प्राथमिक समितियों के सदस्य ही नहीं होते हैं। अतः इन स्व-सहायता समूह को प्राथमिक समितियों का शेयर क्रय कर सदस्यता दिया जाय। आमसभा में वन विभाग के प्रमुख सचिव एवं आमसभा के अध्यक्ष मनोज कुमार पिगुवा, राज्य वनोपज संघ प्रबंध संचालक संजय शुक्ला, अमरनाथ प्रसाद, आर.सी. दुग्गा, सचिव किरण गुप्ता, सहित विभिन्न जिला वनोपज सहकारी संघ से आये हुए प्रदेश प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।