बालोद/बस्तर मित्र।
बालोद जिले के ग्राम करियाटोला में कावड़े परिवार के द्वारा 15 जनवरी को कार्यशाला बैठक का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिला - कांकेर, बालोद, कोण्डागांव, नारायणपुर, धमतरी सहित कई जिलों के कवड़ों भाई और समाज प्रमुखों ने अपनी भागीदारी दी। समाज प्रमुखों के द्वारा बताया गया कि कवड़ो परिवार की संस्कृति व सभ्यता की उत्पति हजारों वर्ष पूर्व से ही प्रकृति आधारित कोया पुनेम अर्थात मानव सत् मार्ग एवं प्रकृति जीवन शैली को अपनाये हुए विद्यमान है। मगर बाहरी आडम्बरिक विचारधारा के प्रभाव में आकर कवड़ो, (कुल परिवार) की प्रभावी पीढ़ी आदर्श युक्त परंपराओं को छोड़कर अन्य व्यवस्थाओं को अपना रहे है। इसलिए कावड़े परिवार में गहरा संकट मंडराने लगा है। उनके विकल्प में अपने पेन जागाए पेन कड़ाए पेन मंडाओं पर मौजूद विश्व की वैभवशाली सभ्य संस्कृति (बाना.बानी) व कोया पुनेम आधारित व्यवस्था को कावड़े (कुल परिवार) में पुर्नस्थापित करने व संरक्षण संवर्धन पूर्नजागरण करने हेतु कावड़े के पुरखों की उच्चत्तम आदर्श व्यवस्थाएं टोन्डा.मंण्डा.कुण्डाए गड़ए मंडाए जागा एवं कोट नार्र जागा बुम.बुमकाल तथा पेन प्रक्रियाओं के कारण उनके पूर्वज कुण्ड व्यवस्था से कालान्तर में पेन बनकर आने वाली पीढ़ियों के लिए विज्ञान सम्मत पथ दर्शित का काम करते आ रहे हैए उन्ही पेन बानाओ की आसीद् से ग्राम करियाटोला में कावड़े युवा.युवतियों (कुल परिवार) के कार्यशाला बैठक का आयोजन किया गया। विषय पर गहन चिंतन मनन हेतु कार्यशाला बैठक को सफल बनाने के लिए समाज प्रमुखों का प्रत्यक्षध्अप्रत्यक्ष सहयोग व गरिमामयी उपस्थिति प्रार्थनीय रहा।