राजनीति

पोटाई वकील साहब को नेहरू जी ने संविधान निर्माण सभा हेतु सादर आमंत्रित किया था . . .

कांकेर/बस्तर मित्र।

अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नितिन पोटाई ने एक प्रेस वक्तव्य में बताया है कि सन् 1946 में जब भारत की स्वतंत्रता की तिथि तय हो गई थी और संविधान निर्मात्री समिति का गठन होने जा रहा था, उन्हीं दिनों तत्कालीन राज्य सी पी (मध्य प्रांत एवं बरार) के राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल मच गई, जब यह सुनाई दिया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस प्रदेश के अनेक वरिष्ठ अधिवक्ताओं की तुलना में कांकेर उत्तर बस्तर के नौजवान रामप्रसाद पोटाई वकील साहब को संविधान सभा का सदस्य बनने हेतु आमंत्रित किया है। स्वयं पोटाई जी टेलीग्राम पाकर आश्चर्य में पड़ गए थे। तत्पश्चात नेहरू जी ने स्पष्ट किया कि उन्हें न केवल विधि विशेषज्ञ के रूप में बल्कि सर्व प्रकार के आदिवासी समाजों के नियमों परंपराओं के विशद अध्येता के रूप में एक सलाहकार के तौर पर बुलाया गया था, ताकि वे इस संबंध में संविधान सभा में अपने विचार रख सकें और ऐसे कानून बन सकें, जिनसे देश के आदिवासी समाज का हित साधन हो सके। रामप्रसाद पोटाई वकील साहब ने नेहरू जी की दी हुई इस ड्यूटी को सफलतापूर्वक समय सीमा के अंदर पूर्ण किया। पांचवीं अनुसूची के अनेक प्रावधान जो आदिवासियों के पक्ष में हैं, पोटाई साहब की ही देन हैं। आज उपर्युक्त दोनों महापुरुष इस दुनिया में नहीं हैं। हम सब उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।




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Mannu Ram Kawde

पत्रकारिता के लिए समर्पित . .



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