बस्तर मित्र/कांकेर।
उचित मूल्य दुकान के हितग्राही जनवरी से फरवरी माह तक शक्कर के लिए भटक रहे थे। अब उन्हे चना और नमक के लिए दुकानों का चक्कर काटना पड़ रहा। अप्रैल व मई की दोनों सामग्री हितग्राही परिवारों को अभी भी नहीं बंटा है।
शासन की ओर से नागरिक आपूर्ति के गोदामों में चावल सहित अन्य सभी राशन सामग्री की आपूर्ति कर दी गई है। परिवहन सुविधा के अभाव में राशन दुकान तक नहीं पहुंची है। वितरण के लिए ई.पास मशीन में विकल्प की सुविधा दिए जाने के बाद भी हितग्राही सस्ता राशन से वंचित हैं। बीपीएल परिवारों को सस्ता राशन उपलब्ध कराना शासन की महत्वपूर्ण योजना है। दीगर जिलों में जहां चावल व नमक ही दिया रहा है। वहीं आदिवासी जिला होने की वजह कोरबा में चना व शक्कर भी प्रदान करने का भी प्रविधान है।
योजना को मूर्तरूप देने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य के दुकानों का संचालन किया जा रहा है। चुनावी कार्य पूरा होने व आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद प्रशासनिक कार्यों में नए सिरे से गति आने लगी है। चना वितरण के लिए राज्य शासन की ओर कृषि संगठन से प्रतिवर्ष अनुबंध किया जाता है।
उल्लेखनीय है आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण अप्रैल माह में अनुबंध नहीं हो पाया। गोदामों में चने का भंडारण नहीं हो सका इस वजह वितरण दो माह तक प्रभावित है। पौष्टिक चना वितरण की योजना भाजपा के रमन सरकार ने शुरू की थी। तब से यह अनवरत जारी है।
चावल, नमक, शक्कर की तुलना में चना वितरण पर सर्वाधिक आर्थिक व्यय होता है। पिछले दो माह से चने का आवंटन नहीं होने से दुकान संचालकों पर ही वितरण नहीं करने का आरोप लग रहा है। सामग्री वितरण के अभाव में दुकानों विवाद की स्थिति देखी जा रही है। यहां यह भी बताना होगा कि नागरिक आपूर्ति विभाग के पास राशन भंडारण के लिए पर्याप्त वाहन की सुविधा नहीं है। जुलाई की शुरूआत को अभी एक दिन शेष हैं, अभी भी दुकानों में राशन सामग्री का पूरा भंडारण नहीं हुआ है।