
जगदलपुर। बस्तर संभाग के सात जिलों की तस्वीर बदल रही है। पहले इन जिलों में वोट डालने पर नक्सली अंगुली काटने की धमकी देते थे। अब वहां चुनाव प्रचार का शोर सुनाई दे रहा है। इन जिलों के अतिसंवेदनशील गांवों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर प्रत्याशियों का प्रचार अभियान जोर पकड़ चुका है। नक्सलियों के प्रभाव वाले इन क्षेत्रों में दो साल के भीतर 40 से अधिक नवीन सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं। क्षेत्र में शांति लौटी है। नक्सलवाद अंतिम सांसे गिन रहा है। लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। नक्सली धमकी और डर को लोग दरकिनार कर चुके हैं।
बीजापुर जिले के अतिसंवेदनशील गांव पामेड़ में प्रचार अभियान जोरों पर है। इसी माह पामेड़ को बीजापुर जिले से जोड़ कर यहां तक बस सेवा शुरू की गई है। इससे बीजापुर जिला मुख्यालय से पामेड़ की दूरी 100 किमी कम हुई है। पहले महाराष्ट्र से होकर गांव तक जाना पड़ता था। बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) यहां पक्की सड़क का निर्माण कर रहा है। पामेड़ के लोग इस बात को लेकर उत्साहित है और वे अब गांव का विकास चाह रहे हैं। बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने बताया कि जिले में 50 से अधिक अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र हैं, जहां इस बार चुनाव होने हैं। अंदरूनी क्षेत्रों में नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना के बाद गांव का विकास होने से लोगों में लोकतंत्र पर भरोसा बढ़ा है।