
नई दिल्ली :- डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से पीएम मोदी की मौजूदगी में टैरिफ को लेकर बयान दिया, उससे लगता है कि उन्होंने पहले से ही मन बना लिया था. क्योंकि मुलाकात से एक दिन पहले ही उन्होंने पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariffs) पर अपनी कलम चलाकर मुहर लगा दी थी. अमेरिका लगातार भारत को 'टैरिफ किंग' कह रहा है, साथ ही सच्चा दोस्त भी बता रहा है. ऐसे में टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जैसा रवैया दिख रहा है, उससे तो यही लगता है कि 'दोस्ती अपनी जगह और पैसा अपनी', यानी कारोबार में कोई दोस्ती नहीं.
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति के एक बयान में भारत के लिए कई मायने छिपे हैं. पीएम मोदी के साथ मुलाकात के बाद ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया कि आप टैरिफ के मामले में क्या भारत को कोई राहत देना चाहेंगे? इस सवाल का जवाब ट्रंप कुछ और भी दे सकते थे, लेकिन उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि उनके लिए सभी देश एक जैसे हैं. जो देश जितना अमेरिकी सामान पर टैक्स लगाएगा, बदले में अमेरिका भी उसपर उतना ही टैक्स लगाएगा. अब यहां भारत की बात हो ही रही थी कि ट्रंप ने सीधा पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariffs) का राग अलाप दिया. इसके अलावा उन्होंने एक बार फिर भारत को सबसे ज्यादा टैरिफ वाला देश बताया, जैसा कि वे अपने पिछले कार्यकाल के दौरान भी गाहे-बगाहे जिक्र करते रहते थे.
जानकारों की मानें तो डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से पीएम मोदी की मौजूदगी में टैरिफ को लेकर बयान दिया, उससे लगता है कि उन्होंने पहले से ही मन बना लिया था. क्योंकि मुलाकात से एक दिन पहले ही उन्होंने पारस्परिक शुल्क (Reciprocal Tariffs) पर अपनी कलम चलाकर मुहर लगा दी थी. उनके इस प्लान का सीधा मतलब है-अमेरिका अब उसी हिसाब से टैक्स लगाएगा, जिस दर पर दूसरे देश अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाते हैं.
दरअसल, अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है. ऐसे में अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. हालांकि, 13 फरवरी को ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है. नोमुरा की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगाने से भारत को आर्थिक नुकसान हो सकता है. क्योंकि अमेरिका के मुकाबले भारत प्रोडक्ट्स पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है. अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर भारत औसतन 9.5 फीसदी टैरिफ लगाता है. जबकि इसके मुकाबले भारतीय प्रोडक्ट्स पर अमेरिका का वेटेड एवरेज इफेक्टिव टैरिफ महज 3 फीसदी है. यानी अमेरिका के मुकाबले भारत औसतन तिगुना टैरिफ लगाता है. अगर अमेरिका भी औसतन 9 फीसदी टैरिफ लगाता है तो फिर भारत को भारी नुकसान हो सकता है.