
इन दिनों वनांचल के गांवों में 'पीला सोना' कहे जाने वाले महुआ फूल टपकना शुरू हो गया है। ग्रामीण सुबह से ही महुआ फूल का संग्रहण करने खेतों और जंगलों का रुख कर रहे हैं। जंगल के चारों ओर महुआ फूल की मादक खुशबू बिखर रही है, जिससे राहगीर भी आकर्षित हो रहे हैं।
राज्य का प्रमुख वनोपज महुआ फूल तैयार हो चुका है। महुआ फूल समेटने के लिए ग्रामीण पूरे परिवार के साथ सुबह से ही जंगलों व खेतों की ओर चले जाते हैं। इस दौरान सुरक्षा के लिए हाथ में लाठी व महुआ फूल रखने के लिए टोकरी साथ लेकर जाते हैं। सूर्य के चढ़ते ही पेड़ से फूल गिरना कम हो जाता है।
गर्मी का मौसम आते ही महुआ के पेड़ों पर आई कूंचे फूलों से लद आए हैं। इस वर्ष महुआ पेड़ों पर फूल लदे हैं। जिसके लिए खेतों में से लेकर बियावान जंगल तक चहल-पहल बढ़ रही है। महुआ के फूलों की मदमस्त कर देने वाली खुशबू ग्रामीण परिवेश के जीवन में बहार लेकर आई है।
वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीण परिवार के लिए महुआ आज भी जीवन का आधार है। वे इसे सूखाकर घर में रख लेते हैं। इससे नकदी के रूप में भी प्रचलन करते हैं।
बाजार में बढ़ती मांग के चलते महुआ आय का एक साधन भी बन गया है। हालांकि जंगल की अंधाधुंध कटाई व खेती की जमीनों का विस्तार करने से अब महुआ के पेड़ कम ही बचे हैं।