
पारंपरिक खेती को छोड़ अब किसान औषधीय खेती करने में रुचि ले रहे हैं. दरअसल, सागर जिले के रजवास गांव में करीब 30 किसानों ने अपने खेत में अश्वगंधा को लगाया है. अश्वगंधा आयुर्वेद में प्रमुख औषधीय है और इसका उपयोग आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में उपयोग प्रमुख रूप से किया जाता है.
मध्य प्रदेश के सागर जिले के किसान परंपरागत खेती को छोड़कर अब नई औषधि फैसले उग रहे हैं. गेहूं, चना, मसूर फसलों में लागत अधिक और मुनाफा कम होने के चलते अब वो खेतों में नई किस्म की फसल उगा रहे हैं. दरअसल,सागर के एक युवा किसान ने बीते साल सात डिसमिल जमीन से लाखों रुपये का मुनाफा कमाया था, जिसके बाद उन्होंने इसकी खेती 4 एकड़ जमीन में की. वहीं युवा किसान से प्रेरणा लेकर गांव के करीब 30 किसानों ने भी अश्वगंधा की खेती शुरू की है.
सागर जिले के रहली विकासखंड के रजवास गांव में करीब 30 किसानों ने इस बार अपने खेत में अश्वगंधा की औषधि फसल को लगाया है. यहां के युवा किसान प्रशांत पटेल ने पिछले साल छोटी सी जगह में अश्वगंधा लगाकर इसकी शुरुआत की थी. जिससे उन्हें मुनाफा हुआ, जबकि लागत काफी कम था. बता दें कि इस बार उन्होंने अश्वगंधा को चार एकड़ में लगाया है. प्रशांत पटेल से सीख लेकर गांव के और किसानों ने भी इसे अपने खेतों में लगाई है. यह फसल अब गांव में करीब 30 हेक्टेयर में उगाई जा रही है.
किसान प्रशांत पटेल ने बताया कि वह इसका भी नीमच मंदसौर से लेकर आए थे. सात डिसमिल जगह में उन्होंने इसको लगाया था, जिससे उन्होंने 96 हजार रुपये की फसल बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया था. अब उन्होंने इसे चार एकड़ में लगाया है. यह पूरे 4 महीने की फसल है. अक्टूबर में इसकी बुवाई होती है और अप्रैल में यह फसल पूरी तरह से तैयार हो जाता है. यह जड़ नुमा फसल होती है. जमीन में खुदाई करके इसे निकाला जाता है. इसमें करीब 8 से 10 नोज पानी देना पड़ता है.
किसान ने बताया कि अश्वगंधा की खेती में निदाई, गुड़ाई की आवश्यकता होती है. इसे नीमच मंडी में बेचने के लिए ले जाना पड़ता है. इस बार फसल की अधिक बुवाई गांव में हुई है, इससे यही व्यापारियों के आने की संभावना है और यही से फसल की बिक्री हो सकती है. उन्होंने बताया कि एक एकड़ में 25 हजार की लागत आती है और करीब एक लाख की फसल मिल जाती है.