
अ.ज.जा आयोग के पूर्व सदस्य वरिष्ठ आदिवासी नेता नितिन पोटाई ने छ.ग. के भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि प्रदेश में आदिवासियों के हित प्रहरी के रूप में कार्य करने वाले महत्वपूर्ण संस्था राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में भाजपा सरकार द्वारा अभी तक पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं की गई है जिससे आदिवासियों के मामलों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अजजा आयोग में अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित सदस्य के सभी पद खाली है। इसे देखकर ऐसा लगता है कि सरकार आदिवासियों के हित के लिए गंभीर नहीं है जो सरकार के आदिवासी विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
श्री पोटाई ने कहा कि मुख्यमंत्री को अजजा आयोग के सभी पद शीघ्र भरना चाहिए ताकि आदिवासी अधिकारो की रक्षा करने की जिम्मेदारी आयोग के पदाधिकारी प्रभावी रूप से निभा सके। राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग की वेबसाइट के अनुसार आयोग के अध्यक्ष उपाध्यक्ष तथा सदस्य के पद खाली है। उन्होंने कहा कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसे सिविल न्यायालय का दर्जा प्राप्त है छ.ग. राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग अधिनियम 1995 के धारा 9 (1) एवं (2) के अन्तर्गत आयोग के कार्यों एवं धारा 10 के अन्तर्गत आयोग की शक्तियां समाहित है जिसके अनुसार आयोग आदिवासी वर्ग से प्राप्त शिकायतों पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए योग्य प्रकरणों को पंजीबद्ध करके उभय पक्षों के कथन एवं साक्ष्य दस्तावेजों के आधार सुनवाई करने एवं दोषियों पर कार्यवाही हेतु संबंधित विभाग को पत्र लिखने का अधिकार है। वर्तमान में अजजा आयोग में निरंतर शिकायतों के आवेदन पत्र प्राप्त हो रही है लेकिन पदाधिकारियों के अभाव में सुनवाई नहीं हो पा रही है। वर्तमान में आयोग में नियमित रूप से सचिव की भी नियुक्ति नहीं की गई है इसलिए सारा कार्य प्रभावित हो रहा है।
श्री पोटाई ने कहा कि आयोग का कार्यक्षेत्र व्यापक है और उसमें अनुसूचित जनजाति का कल्याण और विकास से संबंधित सुरक्षात्मक तथा समस्या निवारण दोनों सम्मलित है। जनजाति आयोग आदिवासियों के संरक्षण कर्ता के रूप में हित प्रहरी के रूप में कार्य करता है। अतः इसे खाली रखना आदिवासियों के संवैधानिक और सामाजिक अधिकारों की दृष्टिकोण से उचित नहीं है। पूर्व सरकार द्वारा नियुक्त हुए आयोग के पदाधिकारियों का कार्यकाल तो पूरा हुए 1 वर्ष से अधिक हो रहा है लेकिन नए सरकार ने आयोग में अभी तक पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं की है जो चिंता का विषय है । नितिन पोटाई ने सवाल किया है कि प्रदेश में यदि अजजा आयोग नही तो सरकार में आदिवासियों की आवाज कौन सुनेगा। उनकी शिकायतों पर कार्यवाही कौन करेगा। एक ओर तो सरकार आदिवासियों के हितों की बात करती है वहीं दूसरी ओ आदिवासियों के इस महत्वपूर्ण संस्था की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।
अतः मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जल्द से जल्द राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के सभी पद भरे ताकि यह संख्या आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी प्रभावी रूप से निभा सके ।