
मार्च के मौसम में आम के पेड़ में बौर आने लगते हैं. यही वो समय है जब पेड़ों को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. इस समय आम के पेड़ में कई प्रकार के रोग लगते हैं. ऐसे बचाव कर सकते हैं.
मार्च के महीने में आम के बाग को खास देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इस समय पेड़ में बौर (मंजरी) लगते हैं, जिससे कई तरह के कीट और रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है. इन दिनों आम के पेड़ों पर बौर आने लगी है, लेकिन इसके साथ ही विभिन्न रोगों का खतरा भी बढ़ रहा है, जिससे किसान काफी परेशान हैं. जिला उद्यान अधिकारी मृत्युंजय सिंह ने बताया कि आम के तना भेदक के अलावा बौर और पत्तों पर झुलसा, गुजिया, पुष्प गुच्छ मिज और भुनगा का प्रकोप देखा जा रहा है.
आम के बौर में झुलसा रोग के कारण फूलों और अविकसित फलों के गिरने की स्थिति पैदा हो जाती है. इस रोग का प्रकोप तब अधिक होता है जब हवा में 80 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता हो या बारिश के कारण नमी बढ़ जाए. ऐसी स्थिति में अगेती बौर को बचाने के लिए मेन्कोजेब कार्बेन्डाजिम के 0.2 प्रतिशत घोल (20 ग्राम प्रति लीटर पानी) या ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन टेयूकोनाजोल को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. भारत दुनिया में सबसे अधिक आम उत्पादन करने वाला देश है, इसलिए इसकी देखभाल बेहद जरूरी है.
आम के गुजिया कीट से बचाव के लिए सही समय पर उपाय करना जरूरी है. जनवरी से लेकर मार्च तक यह कीट जमीन से निकलकर पेड़ों पर चढ़ जाता है. इनकी अधिक संख्या आम के पेड़ों को नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि ये पत्तियों और बौर का रस चूसकर उन्हें नष्ट कर देते हैं. कीटों की अधिकता होने पर फलों का बनना भी प्रभावित होता है.