
मकोय, जिसे भटकोइंया भी कहते हैं, बुखार, त्वचा समस्याओं, पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं. आयुर्वेद में इसे त्रिदोष संतुलित करने वाला माना गया है. मकोय के सेवन से और क्या फायदे होंगे, जानें.
क्या आपने कभी मकोय खाया है या इसका नाम सुना है? यह साइज में तो बहुत ही छोटा गोल-मटोल सा होता है, जिसे देखकर लगता है जैसे ये टमाटर का छोटा सा वर्जन हो. हालांकि, टमाटर से ये पूरी तरह से ही अलग होता है. स्वाद, गुण, साइज और फायदों में. मकोय के कई नाम हैं जैसे भटकोइंया, काकमाची, ब्लैक नाइटशेड, पॉयजन बेरी आदि. मकोय का पौधा बहुत ही छोटा सा होता है. यह कहीं भी पार्क, मैदान, रोड साइड, जगंल, खेत आदि में आपको नजर आ जाएगा. मकोय में कई सेहत लाभ छिपे होते हैं, लेकिन इसे लोग बेकार समझते हैं. इसका आयुर्वेद में भी काफी अधिक महत्व बताया गया है. चलिए जानते हैं मकोय यानी भटकोइंया खाने के फायदों के बारे में यहां.
मकोय के अद्वितीय गुण बुखार से लेकर त्वचा से जुड़ी समस्याओं में राहत दिला सकते हैं. मकोय का वानस्पतिक नाम सोलेनम निग्रुम है. मकोय का इस्तेमाल आयुर्वेद में एक असरदार औषधि के रूप में किया जाता है. इसके फल, पत्ते और जड़ सभी किसी न किसी रोग का इलाज करने के काम आती हैं.
मकोय बुखार और त्वचा समस्याओं में राहत देता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं. मकोय पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.