
छत्तीसगढ़ के लिए एक बेहद अच्छी खबर है. अभी तक कांगेर घाटी सिर्फ राज्य का गौरव बढ़ा रहा था. लेकिन अब इसकी पहचान दुनियाभर में हो जाएगी. यह सफर आसान नहीं था लेकिन कांगेर घाटी की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्त्व ने इसे इस मुकाम तक पहुंचाया. इस घाटी का नाम यूनेस्को के विश्व धरोहर की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है.
छत्तीसगढ़ के लिए एक बेहद अच्छी खबर है. अभी तक कांगेर घाटी सिर्फ राज्य का गौरव बढ़ा रहा था. लेकिन अब इसकी पहचान दुनियाभर में हो जाएगी. यह सफर आसान नहीं था लेकिन कांगेर घाटी की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्त्व ने इसे इस मुकाम तक पहुंचाया. इस घाटी का नाम यूनेस्को के विश्व धरोहर की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह सफलता हमारी कठोर मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है. कांगेर घाटी के यूनेस्को टेंटेटिव लिस्ट में शामिल होना राज्य के लिए गौरव का विषय है, जिससे पर्यटन एवं रोजगार में नई संभावनाएं खुलेगी. हम भविष्य में भी अपनी धरोहरों के संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करते रहेंगे.
कांगेर घाटी सिर्फ जंगल नहीं है, यह एक जादुई दुनिया है. इसमें 15 से ज्यादा रहस्यमयी गुफाएं हैं, जैसे कोटमसर, कैलाश और दंडक गुफाएं जो किसी रहस्यलोक से कम नहीं लगती. यहां 15 से ज्यादा चूना पत्थर की गुफाएं हैं- कोटमसर, कैलाश, दंडक, जो न सिर्फ भूवैज्ञानिक चमत्कार हैं, बल्कि पुरातात्विक कहानियां भी समेटे हुए हैं. इस उद्यान में दुर्लभ प्राणी बसते हैं जैसे उदबिलाव, माउस डियर, जायंट गिलहरी, लेथिस सॉफ्टशेल कछुआ और जंगली भेड़िया. आसमान में 200 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों का नृत्य और धरती पर 900 से अधिक वनस्पतियों का रंग-बिरंगा कालीन. 140 से ज्यादा तितलियां यहां की हवा में रंग भरती है. कुल मिलाकर, यह जंगल किसी परीकथा की दुनिया जैसा लगता है.
यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट एक खास सूची होती है, जिसमें दुनिया के वो स्थान शामिल किए जाते हैं, जिन्हें भविष्य में विश्व धरोहर घोषित किया जा सकता है. यह पहला और सबसे अहम कदम होता है. और अब, कांगेर घाटी ने भी यह पहला पड़ाव पार कर लिया है. आगे चलकर अगर यह स्थायी सूची में शामिल हो जाती है, तो छत्तीसगढ़ का यह हरा-भरा जंगल पूरे विश्व में अपनी खास पहचान बना लेगा.