
छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले के एक गांव में दशकों से लोगों ने होली नहीं मनाई है. इस गांव का नाम गोंड़पेंड्री है. जो दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर पाटन ब्लॉक में आता है. इस गांव के लोगों में रंगों के त्यौहार का इतना खौफ है कि चाहकर भी वे होली नहीं मनाते.
कहा जाता है कि गांव में सालों पहले दो समुदायों के बीच होली के दौरान होलिका दहन को लेकर जमकर विवाद और मारपीट हुई. मामले थाने और कोर्ट पहुंचा. इस बात को आज लगभग 20 साल से ज्यादा समय बीत चुका हैं. उस विवाद की दहशत गांव के लोगों में ऐसी हो गई कि आज भी होली मनाने से लोग कतराते हैं. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जिनके बीच विवाद हुआ, वो पीड़ित परिवार आज भी कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं.
उदय राम साहू गोंडपेंड्री गांव के रहने वाले हैं. होली नहीं मनाने और होलिका दहन नहीं करने को लेकर वे बताते हैं " सालों पहले गांव की बस्ती में होलिका दहन हुआ था. होलिका दहन के दिन बस्ती के कुछ लोगों ने दहन के लिए दूसरी जगह चयन करने को कहा. लोगों के बीच बहस हुई और पुलिस के पास पहुंच गए. इसी दौरान दूसरे पक्ष ने विवादित जगह पर होलिका दहन कर दिया. उसके बाद दोनों पक्षों के बीच झगड़ा और मारपीट हो गया. तब से इस गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता. गांव के बुजुर्गों ने होलिका दहन और होली नहीं मनाने का फैसला किया. जिसका पालन आज भी गांव के लोग करते हैं.
बताया जा रहा है कि पहले गांव में होली पर नगाड़ा बजाया जाता था. गांव वाले डंडा नाच करते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं होता. हालांकि होली को देखते हुए गांव के बच्चे थोड़ा बहुत रंग गुलाल लगा लेते हैं, लेकिन बुजुर्ग इन सब से दूर रहते हैं.