
अंतरिक्ष को नए आयाम देता निजी क्षेत्र, ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा भारत
न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में कई सरकारों ने अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा दिया है। इस क्रम में नासा, ईएसए और रोस्कोमास जैसी एजेंसियां अग्रणी हैं। एरियनस्पेस ने पिछली सदी के नौवें दशक में पहला निजी उपग्रह प्रक्षेपित किया। 1984 में यूएस कामर्शियल स्पेस लांच एक्ट आया और 1988 में निजी दूरसंचार उपग्रह लांच हुआ।
धीरे-धीरे निजी निवेश में, खासकर अमेरिका में अंतरिक्ष गतिविधियां बढ़ने लगीं। 2002 के बाद स्पेसएक्स ने लागत में कटौती करने वाले बहुत सारे नवाचारों द्वारा इस क्षेत्र में क्रांति की लहर को जन्म दिया। सुनीता विलियम्स की वापसी में मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के सहयोग की अहम भूमिका रही।
आज अंतरिक्ष निवेश में निजी क्षेत्र का हिस्सा 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कुछ साल पहले तक इसरो द्वारा हासिल अंतरिक्ष डाटा सीमित रूप में ही साझा किया जाता था। 2009 में इस नीति में बदलाव आया। 2020 में भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने से इस क्षेत्र में लोकतंत्रीकरण की एक नई लहर आई है। आज इस क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या 260 से अधिक हो गई है।
भारत के अंतरिक्ष निर्यात पर अब तक इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड का एकाधिकार था। अब स्टार्टअप्स उसके पूरक बन रहे हैं। उनके योगदान के कारण भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में निर्यात का हिस्सा 0.3 अरब डालर से बढ़कर 11 अरब डॉलर होने का अनुमान है। बदलते परिदृश्य में केंद्र सरकार की भूमिका कार्यान्वयनकर्ता से बदलकर इसरो और स्टार्टअप सहित निजी खिलाड़ियों के बीच प्रमोटर, सुविधाकर्ता और मध्यस्थ की हो गई है।