
पिछले हफ्ते पखांजूर के पास पुलिस मुठभेड़ में चार नक्सली मारे गए थे। इनमें से तीन नक्सलियों की पहचान हो गई। परिजन उनकी लाशें भी ले गए। एक नक्सली की लाश ले जाने के लिए कोई आगे नहीं आया। ज्यादा दिनों तक ऐसे ही पड़े रहने से बॉडी डिकंपोज होकर पूरी तरह सड़ जाती। ऐसे में समय रहते इसका अंतिम संस्कार करना चुनौती बन गया था। पुलिस ने जन सहयोग संस्था की मदद से उस लाश का अंतिम संस्कार किया।
पुलिस ने इस लाश के अंतिम संस्कार के लिए सामाजिक संस्थाओं से अपील की थी। इसके लिए जन सहयोग संस्था के अध्यक्ष अजय पप्पू मोटवानी अपनी टीम के साथ आगे आए। पूरा अंतिम संस्कार विधि विधान से किया गया। पप्पू बताते हैं कि एक व्यक्ति ने उनसे सवाल पूछा था कि किसी नक्सली का इस तरह अंतिम संस्कार करना क्या सही है? पप्पू इस पर कहते हैं कि मरने के बाद सबका शरीर एक समान होता है। इसमें कैसा भेदभाव? मानवता के नाते ही सही, हम किसी की भी लाश को यूं सड़ने के लिए नहीं छोड़ सकतें।
अब तक 155 अज्ञात लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। पहले भी कई नक्सलियों का अंतिम क्रियाकर्म किया है। उनकी पूरी टीम यह काम बिना भेदभाव के करती है। आगे भी वे इसी तरह काम करते रहेंगे। पप्पू ने बताया कि उनकी संस्था अपने खर्च से समाजसेवा कर रही है।
वे किसी से कोई चंदा नहीं लेते। इस नेक काम में बल्लू राम यादव, करण नेताम, सागर देव, आशुतोष देव, सागर गोस्वामी, अभिषेक नागवंशी, जितेंद्र पाठक, प्रभु सलाम, दुर्गावती कुजूर, प्रधान आरक्षक सत्य प्रकाश सिंह, राकेश ध्रुव और पर्वत पोया समेत कई अन्य सदस्यों ने भी सहयोग किया।