
कटेरी खांसी, बुखार, अस्थमा, सिरदर्द, पेट दर्द, लिवर और स्किन से संबंधी समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद है. कटेरी के फूल गले की सूजन और खराश को कम करते हैं. आयुर्वेद में गंजेपन के लिए कटेरी का इस्तेमाल अच्छा उपाय माना जाता है. इसके अलावा चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में कटेरी के सैकड़ों हेल्थ बेनिफिट्स के लिए जाना जाता है. चरक संहिता के मुताबिक, कटेरी को खांसी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. कटेरी की जड़ में बलगम को बाहर निकालने वाले गुण होते हैं. कटेरी के फूलों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर खाने से खांसी दूर होती है. चूर्ण को आधा से 1 ग्राम खाया जाता है.
चरक संहिता के अनुसार, कटेरी पित्त और कफ के ग्रोथ को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस खाने से डाइजेशन में सुधार होता है, लिवर को हेल्दी रखा जाता है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है. यह पित्त के ज्यादा ग्रोथ को कंट्रोल करता है, शरीर के टेम्परेचर को बैलेंस करता है, और ब्लड को साफ करता है, जिससे स्किन से जुड़ी समस्याएं जैसे मुंहासे और एक्जिमा में राहत मिलती है.
अगर आप सिरदर्द से ज्यादा परेशान हैं, तो कटेरी का काढ़ा बनाकर पी लें. इसके सेवन से सिरदर्द से राहत मिलती है. इसके अलावा, कटेरी के फूलों का रस माथे पर लगाने से सिरदर्द से राहत मिलती है. पेट दर्द में भी कटेरी बहुत फायदेमंद है. पेट दर्द से आराम के लिए कटेरी के फूल के बीजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है. पेट दर्द से आराम के लिए बीजों को पीसकर, उसे छाछ में मिलाकर सेवन करें
लिवर से जुड़ी समस्याओं के लिए भी कटेरी का सेवन बहुत फायदेमंद बताया जाता है. कटेरी लिवर के लिए बहुत अच्छा टॉनिक होता है. कटेरी के फूलों से बने काढ़े का सेवन करने से लिवर की सूजन और इन्फेक्शन की समस्या से राहत मिलती है. खांसी, बुखार, अस्थमा, सिरदर्द, पेट दर्द, लिवर और स्किन से जुड़ी समस्याओं के लिए कटेरी का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. इस्तेमाल करने से पहले सलाह जरूर लें, क्योंकि कटेरी के काढ़ा का ज्यादा इस्तेमाल करने से उल्टी की शिकायत हो सकती है.