
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में एक बार फिर पाकिस्तानी साजिश की बू आ रही है. खुफिया सूत्रों का कहना है कि आतंकी हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई. हमले के पीछे हाफिज सईद के करीबी सैफुल्लाह कसूरी का हाथ होने की बात कही जा रही है. ऐसे में भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं. इसें सबसे महत्वपूर्ण फैसला सिंधु जल समझौते को रद्द करना है. भारत के इस फैसले से पाकिस्तान पानी को तरस सकता है
1 अप्रैल 1948 को भारत ने दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया था, जिससे पाकिस्तानी पंजाब की 17 लाख एकड़ जमीन पानी को तरस गई थी. अब भारत ने इस पूरे समझौते को ही रद्द कर दिया है.
पहलगाम आतंकी हमले में आतंकियों ने 26 लोगों की जान ले ली थी, जिसके बाद से ही पूरा देश भारत सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा था. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुए फैसले में 1960 में हुई सिंधु जल समझौते को रद्द करने का फैसला लिया गया है. ऐसे में हम आपको उस सिंधु जल संधि के बारे में बताएंगे, जिसे रद्द करके भारत एक झटके में पूरे पाकिस्तान को प्यासा मार सकता है.
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद दोनों देशों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह समझौता किया गया था. 19 सितंबर, 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत छह नदियों ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी के इस्तेमाल को लेकर नियम तय किए गए थे. इस समझौते के तहत पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु से संपूर्ण जल प्राप्त होता है. वहीं भारत को सतलुज, व्यास और रावी नदियों का जल प्राप्त होता है.
आजादी के बाद पाकिस्तान के साथ कई जंग लड़ चुके भारत ने कभी भी इस समझौते को नहीं तोड़ा और न ही पाकिस्तान का पानी रोका. हालांकि, लंबे समय से भारत में इस जल संधि को तोड़े जाने की मांग हो रही थी. अब भारत ने आखिरकार वह फैसला ले लिया है.