रमन भी पछताया था, भूपेश भी पछताएगा के नारों के साथ तीन जिलों के व्यखताओं और प्रधान अध्यापकों ने दो अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर कांकेर जिला मुख्यालय पर सत्याग्रह किया, उन्होंने अपना विरोध जताया, छत्तीसगढ़ कर्मचारी संघ के कार्यकर्ताओं ने बताया कि विभिन्न कर्मचारी, शिक्षक संगठनों के द्वारा मांगों को लेकर काफी समय के आवाज उठाया जा रहा है।
बापू की जयंती पर सत्याग्रह पिछले कई वर्षों से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव आयुक्त संचालक एवं अन्य अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों को बार-बार प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए ज्ञापन तथा मांगपत्र दिए दिया गया, आश्वासन और तारीख के ऊपर तारीख के अलावा कुछ नहीं मिला।
प्राचार्य पद पर पदोन्नति की राह देखते-देखते सैकड़ों प्रधान अध्यापक एवं व्याख्याता रिटायर हो गए और दर्जनों शिक्षकों का निधन भी हो गया, शिक्षा विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद जागने के लिए तैयार नहीं हैं, संघ के सदस्यों ने बताया कि प्रदेश में 2021 में 134, 2020 में 114, 2022 में 192 प्रधान अध्यापक एवं व्याख्यातागण रिटायर हो गए।
हर साल 10 प्रतिशत रिटायरमेंट हो रहा हैं, शालाओं में नियमित प्राचार्यों की पोस्टिंग नहीं होने का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ा है, बच्चों एवं शिक्षकों में अनुशासन की कमी साफ-साफ देखी जा सकती है, स्कूल शिक्षा विभाग की इन्हीं गलत नीतियों के विरोध में माध्यमिक शालाओं, के प्रधानाध्यापकों तथा व्याख्याताओं को वर्षों से लंबित प्राचार्य के पद पर पदोन्नति नहीं दिया गया।
विरोध में सैकड़ों की संख्या में अध्यापक पहुंचे कांकेर, धमतरी, कोंडागांव के करीब 300 प्रधान अध्यापक एवं व्याख्याताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया है, कांकेर जिले में संचालित 195 एवं पूरे छत्तीसगढ़ में 3500 से अधिक हाई तथा हायर सेकेंडरी स्कूल प्राचार्य विहीन हैं, जिनका संचालन पिछले कई वर्षों से प्रभारी शिक्षकों के द्वारा ही किया जा रहा है।