
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी जल समझौते को रद्द कर दिया है. सरकार के इस कदम को इसलिए और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि तीन बार पाकिस्तान के साथ जंग के बाद भी भारत ने इस समझौते को बरकरार रखा.
इस बार समझौते को रद्द करना बताता है कि भारत सरकार आर-पार के मूड में है और सरकार का रुख स्पष्ट है कि पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते.
भारत के इस कदम पर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और इसे 'एक्ट ऑफ वॉर' करार दिया है. इतना ही नहीं पाकिस्तान ने भारत को परमाणु बम की भी धमकी देनी शुरू कर दी है. बता दें, सिंधु जल समझौता इसलिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत की खेती, बिजली परियोजनाएं और पीने की पानी की जरूरत इसी पर निर्भर थी. समझौता रद्द होने से पाकिस्तान के सामने बड़ा जल संकट खड़ा हो सकता है.
भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के विवाद को सुलझाने के लिए 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत सिंधु जल प्रणाली की छह नदियों के जल का बंटवारा किया गया था, जिसके तहत सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था. यह सिंधु जल प्रणाली का 80 फीसदी जल था. वहीं भारत ने रावी, ब्यास और सतलुज पानी का उपयोग करना शुरू कर दिया.
सिंधु नदी की बात करें तो यह तिब्बत (चीन) में कैलाश पर्वत श्रृंखला के उत्तरी ढलानों में मानसरोवर झील के पास स्थित बोखर चू के निकट एक ग्लेशियर से निकलती है. यह नदी उत्तर से पश्चिम दिशा में बहती हुई भारत मे लद्दाख क्षेत्र में प्रवेश करती है. यहां से यह जम्मू-कश्मीर होते हुए पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में प्रवेश करती है और बाद में अरब सागर में मिल जाती है.