
छत्तीसगढ़ में 16 जून से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने जा रहा है। सरकारी स्कूलों के 50 लाख विद्यार्थियों को निः शुल्क दी जाने वाली किताबों का प्रकाशन अभी पूरा नहीं हो सका है। इससे स्कूल खुलने पर बच्चों के बस्ते खाली रहने की आशंका गहराती जा रही है। ऐसा, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही के चलते हुआ है।
दरअसल, पुस्तकों के प्रकाशन में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार ने उन पर क्यूआर कोड लगाने के निर्देश दिए थे। निगम प्रबंधन ने इस आदेश को शुरू में अनदेखा कर दिया। बाद में गलती का अहसास हुआ। इसके चलते किताबों के प्रकाशन में देरी हो रही है।
यहां अधिकारियों ने चर्चा में बताया कि अभी हाई स्कूलों की किताबें स्कूलों तक पहुंचाई जा रही है। एक सप्ताह के बाद पहली से आठवीं तक किताबें पहुंचाने का लक्ष्य है। फिलहाल जिस तरह से विषयवार पुस्तकें प्रकाशित होकर आ रही है उसको गोदाम में रखा जा रहा है। उसके बाद इन किताबों को स्कूलों में पहुंचाई जाएगी।
इस साल राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) की सभी पुस्तकों में क्यूआर कोड का उपयोग किया जा रहा है। यह क्यूआर कोड आइआइटी भिलाई की सहयोग से तैयार किया गया है। यह सिस्टम पुस्तकों की ट्रैकिंग और वितरण की निगरानी करने के लिए है। प्रत्येक पुस्तक पर छपाई के समय एक विशिष्ट क्यूआर कोड अंकित किया गया है, जो पुस्तक को पहचानता है और उसे ट्रैक करने में मदद करता है। क्योंकि यह उपाय भ्रष्टाचार को रोकने के लिए गया है।