
जिला वनोपज सहकारी संघ कांकेर के अध्यक्ष एवं प्रदेश प्रतिनिधि नितिन पोटाई ने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं वन सहकारिता मंत्री केदार कश्यप को पत्र लिखकर राज्य वनोपज संघ रायपुर द्वारा तेन्दूपत्ता संग्राहकों के प्रतिभाशाली बच्चों की छात्रवृत्ति शर्त में बदलाव करते हुए 75 प्रतिशत की जगह 90 प्रतिशत अंक किए जाने को दोष पूर्ण बताते हुए पुनः 10 वीं एवं 12 वीं की परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र -छात्राओं को छात्रवृत्ति देने की मांग की है।
जिला वनोपज सहकारी संघ के अध्यक्ष नितिन पोटाई ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के मुखिया के बच्चों हेतु शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहंत 10 वीं तथा 12 वी की परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र -छात्राओं को क्रमशः 10 वीं में 15000 रूपये तथा 12 वीं में 25000 रूपये दिये जाने का प्रावधान है। जिसके तहत प्रदेश के 13 लाख 50 हजार संग्राहक परिवार के छात्र-छात्राएं इसके मापदण्ड अनुसार आवेदन करने के लिए पात्र है । लेकिन हाल ही में 16 मई को राज्य वनोपज सहकारी संघ के संचालक मंडल के 102 वी बैठक आयोजित कर तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के बच्चों हेतु संचालित प्रतिभाशाली शिक्षा प्रोत्साहन योजना में पूर्व में निर्धारित योग्यता 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने के स्थान पर आंशिक संशोधन करते हुए शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से 90 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को योजना का लाभ दिये जाने का निर्णय लिया गया है तथा 9 जून को इसे लागू भी कर दिया गया जो निहायत ही त्रुटिपूर्ण है जिसके लागू होने से संग्राहक परिवारों में रोष व्याप्त है तथा वे आन्दोलन के लिए बाध्य हो रहे है।
श्री पोटाई ने सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि राज्य वनोपज सहकारी संघ में अभी निर्वाचित संचालक मंडल का गठन नही हुआ है। सरकार किसी न किसी बहाने चुनाव को रोक के रखा हुआ है। जबकि 31 जिला यूनियन के अधिकांश स्थानो में राज्य प्रतिनिधि के चुनाव को हुए लगभग दो वर्ष से भी अधिक का समय हो रहा है। ऐसी स्थिति में मनोनित संचालक सदस्यों के द्वारा तेन्दूपत्ता संग्राहकों के हित में फैसला लिया जाना किसी भी दृष्टि से न्याय संगत नही है। जबकि यह फैसला निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा गठित संचालक मंडल के द्वारा लिया जाना चाहिए क्योंकि सहकारी अधिनियम के अनुसार निर्वाचित संचालक मंडल का निर्णय लिये जाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सबसे महत्पूर्ण बात यह कि राज्य वनोपज सहकारी संघ वार्षिक आम सभा में भी इस बात का कोई जिक्र नही किया गया जिससे वनोपज सहकारी संघ के प्रदेश प्रतिनिधि भी सकते में है।
आगे श्री पोटाई ने कहा कि तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार ज्यादातर ग्रामीणों एवं वनांचल क्षेत्रों में रहते है जहां शिक्षा सुविधाएं सीमित है ऐसे में 75 प्रतिशत लाना भी उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन राज्य वनोपज संघ के मनोनित संचालक सदस्यों के द्वारा 90 प्रतिशत की अंक वृद्धि ने छात्रवृत्ति को लगभग पहुंच से बाहर कर दी है। इस फैसले से 10 वीं और 12 वीं के करीब 2500 बच्चे प्रभावित हो सकते है। जिन्हें क्रमशः 15000 और 2000 रूपये की छात्रवृत्ति मिलती थी। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 902 प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति है। जहां से हर वर्ष 3,4 बच्चे इस योजना का लाभ लेते थे। जिसके लिए संग्राहक परिवार को कम से कम 500 गड्डी तेन्दूपत्ता का संग्राहण करना अनिवार्य है । जिस पर सालाना 15 करोड़ रूपये खर्च होते थे।
श्री पोटाई ने कहा कि राज्य वनोपज संघ के अधिकारी 15 करोड़ बचाने के चक्कर में आदिवासियों के हो रहे फायदे के अनदेखा की जा रही है। यह फैसला सरासर गलत है । अतः इसे तत्काल वापस लिया जाये अन्यथा प्रदेश के समस्त लघुवनोपज संग्राहक परिवार, फड़मुंशी, प्राथमिक समिति के प्रबंधक गण एवं वनोपज सहकारी संघ के निर्वाचित प्रतिनिधि गण आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे । जिसकी जवाबदारी शासन की होगी।