

4 साल पहले 10 किमी दूर पोरियाहूर में शिफ्ट किया स्कूल, बच्चों की पढ़ाई छूटी तो लोग गांव छोड़ने लगे, शासन एक तरफ गांव के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा पहुंचाने गांव.-गांव में स्कूल खोल रही है। वहीं कोयलीबेड़ा विकासखंड के परतापुर पंचायत के आश्रित खेड़ेगांव में संचालित स्कूल को बंद कर दिया गया। बताया जा रहा है कि चार साल पहले इस स्कूल को बंद कर यहां से 10 किमी दूर पोरियाहूर शिफ्ट कर दिया गया है। दूरी अधिक होने से अब इस गांव के बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। और अब यहां के बच्चे शिक्षा से दूर हो चुके है।
खेड़ेगांव की विसंगति ये है की यह अपने पंचायत मुख्यालय परतापुर से 25 किमी दूर है। यही नहीं परतापुर तथा खेड़ेगांव के बीच कोटरी नदी है जिस पर पुल भी नहीं है। यह गांव घने जंगलों के बीच बसा है। मूलभूत सुविधाएं तो दूर इस गांव तक शासन की कोई योजना नहीं पहुंच पाती है, यही कारण है, अब इस गांव को लोग छोड़ दूसरे गांव में बस रहे हैं। जिससे यहां की आबादी निरंतर कम होती जा रही है। पांच साल पहले तक इस गांव में 15 परिवारों के 75 लोग रहते थे। अब यहां परिवारों की संख्या घटकर मात्र 8 हो गई है।
तत्कालीन बीईओ के आदेश पर शिफ्ट किया स्कूल पहले खेड़ेगांव में पदस्थ शिक्षक कुंभकर का कहना है स्कूल खेड़ेगांव के नाम पर ही पोरियाहूर में संचालित है। 2016-17 में तत्कालीन बीईओ चिराम सर के आदेश पर खेड़ेगांव में स्कूल बंद कर पोरियाहूर में चला रहे हैं। सरकारी योजना के नाम पर यहां मात्र एक स्कूल किसी तरह खुला था जहां दो शिक्षकों को पदस्थ भी किया गया था।
हांलाकि दस्तावेजों में यह स्कूल आज भी यही संचालित है, लेकिन हकीकत में यहां की स्कूल को 10 किमी दूर 2016-17 में शिफ्ट कर दिया गया है। यहां के मुखिया जुरूराम पद्दा ने कहा कि,उनके गांव में स्कूल चल रहा था जिसे अचानक बंद कर दिया गया। खेड़ेगांव के नाम से स्कूल पोरियाहूर में चल रहा है जिसे खेड़ेगांव में ही लगाया जाए। पोरियाहुर के नाम से नया स्कूल स्वीकृत करें। यहां हमारी पहली पीढ़ी थी जो स्कूल तक पहुंची थी। बच्चे कुछ सीख रहे थे अब वापस जंगल युग में जीना मजबूरी है। ग्राम पंचायत प्रतापपुर सरपंच राजाराम कोमरा ने कहा खेड़ेगांव के लोगों का राशन कार्ड बनाने आवेदन दिया गया लेकिन नहीं बना है। स्कूल भी अफसर अपनी मनमर्जी करते दूसरे गांव में संचालित कर रहे हैं।