
मानसून की पहली बारिश के साथ ही अबूझमाड़ के सघन जंगलों में प्रकृति की अनमोल सौगात ‘फूटू’ उगने लगता है. शनिवार को नारायणपुर के डेली मार्केट में इसकी भारी आवक देखी गई, जिससे बाजार में जबरदस्त चहल पहल रही. पोषक तत्वों से भरपूर यह मशरूम आदिवासियों की जीविका का साधन तो है ही, अब यह शहरी व्यंजनों में भी खास जगह बना रहा है.
फूटू एक वन्य फफूंद है जो खासकर दीमक के बामियों में उगता है. इसकी अधिकांश प्रजातियां खाने योग्य होती हैं और ये पूरी तरह ऑर्गेनिक और प्राकृतिक रूप से जंगलों में अपने आप उगता है. आजकर इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जा रही है.
फूटू केवल मानसून की शुरुआती बारिश के दौरान उगता है. बादल की गड़गड़ाहट या तेज बारिश के तुरंत बाद भूमि को फाड़कर ऊपर आता है. इसका जीवनचक्र बेहद सीमित (2 से 3 सप्ताह) का होता है, जिससे इसकी खपत और मांग दोनों ज्यादा रहती है. काफी महंगे दामों पर ये बिकता है.प्रोटीन से होता है भरपूर: यह मशरूम 40-50% तक प्रोटीन से भरा होता है. इसमें विटामिन B, फाइबर, आयरन, सेलेनियम, और एंटीऑक्सिडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है. इसे शाकाहारी प्रोटीन का उत्तम स्रोत माना जाता है. इसके साथ ही यह पाचन क्रिया बेहतर करने, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और वजन नियंत्रित रखने में सहायक माना जाता है.
नारायणपुर के डेली मार्केट में फूटू की बड़ी आवक रही, जहां यह 1500 से 2000 रुपये प्रति किलो तक बिका. हालांकि, आदिवासी इसे जंगल से लाकर मात्र 200-400 रुपये किलो में बेचते हैं. स्थानीय बिचौलिये और व्यापारी इसका भरपूर लाभ उठाते हैं.