
डॉ. आंबेडकर अस्पताल के ईएनटी विभाग की टीम ने 14 वर्षीय बालक की जान बचा ली। कोरबा के मधुनारा गांव के रहने वाले बालक के गाल पर तीरनुमा लोहे का औजार घुसने से वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। उसे घायल अवस्था में डॉ. आंबेडकर अस्पताल लाया गया।
बता दें कि औजार की कुल लंबाई 17.5 सेमी थी, जिसमें से सात सेमी हिस्सा उसके चेहरे की मांसपेशियों, लार ग्रंथि और गर्दन की नसों को चीरता हुआ रीढ़ की हड्डी के पास तक पहुंच गया था। यह मामला बहुत क्रिटिकल था, मरीज को जैसे ही अस्पताल में लाया गया, डाक्टरों की टीम तुरंत बिना विलंब किए उसके इलाज में जुट गई।
डाक्टरों ने लार ग्रंथि को हटाकर चेहरे की मुख्य फेशियल नस को बिना क्षति पहुंचाए औजार को सावधानीपूर्वक निकाला। चूक की जरा सी भी गुंजाइश मरीज को लकवा, अत्यधिक रक्तस्राव या जान के खतरे में डाल सकती थी। डॉ. हंसा ने बताया, औजार गले की मुख्य रक्तवाहिनियों और स्पाइनल कार्ड के पास था। टीमवर्क, सूक्ष्म तकनीक और अत्यधिक सतर्कता से हमने इसे सफलतापूर्वक निकाला।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने इसे संस्थान की दक्षता और सेवा भावना का प्रतीक बताते हुए पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बिना किसी जटिलता के इस स्तर की सर्जरी होना हमारी विशेषज्ञता को दर्शाता है। मरीज अब स्वस्थ है और परिजनों ने पूरी मेडिकल टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कठिन समय में डाक्टरों ने भगवान जैसा काम किया है। अब हमारे दिल में इस अस्पताल के लिए गहरा विश्वास है।