

मोबाइल के माध्यम से लेबनान तक पहुंच मामले का निपटारा कर देश भर में ख्याति प्राप्त करने वाले जिले के जजों की एक बार फिर से देशभर में तारीफ हो रही है। देश की नालसा ‘‘नेशनल लीगल सर्विस‘‘ ने भी इनकी तरीफ अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से की है। अमूमन कोर्ट रूम में ही सारी जानकारी लेने वाले जज इस बार जागरूकता फैलाने नक्सल संवेदनशील इलाके के पहाड़ पर बसे गांव कलमुच्चे पहुंचे जहां जिम्मेदार सरकारी नुमाइंदे भी नहीं जाते। जजों ने इस गांव तक पहुंचने पहाड़ी रास्तों पर 4 किमी पैदल चढ़ाई की। प्रदेश भर में यह अपनी तरह का पहला मामला है जब जज इतने संवेदनशील गांव पहुंचे, वह भी पैदल। वे आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत गए थे जो 2 अक्टूबर से शुरू होकर 14 नवंबर तक चलेगा जजों के माध्यम से कलमुच्चे की हालत देशभर ने देखे। देश के कई गांवों में विकास नहीं पहुंच पाने की हकीकत सामने आई। कलमुच्चे में ग्रामीणों के हक को लेकर जागरूकता पहुंचाने पहुंची मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चित्रलेखा सोनवानी तथा वरिष्ठ व्यवहार न्यायाधीश डीके गिलहरे ने जब यहां के हालात देखे तो दंग रह गए।
आज तक गांव पहुंचने सड़क ही नहीं बनाई गई है। ग्रामीणों ने भी जजों को इसे अपनी सबसे बड़ी समस्या बताई। तीन साल पहले ही यहां तक पहुंची बिजली ज्यादातर समय गुल ही रहती है। दो बोर हैं जो दिसंबर तक पूरी तरह सूख जाते हैं। दिसंबर के बाद वे पेयजल के लिए झरिया पर निर्भर हो जाते हैं। गर्मी झरिया से भी एक से दो घंटे में एक छोटा बर्तन ही भरता है। ग्रामीणों की समस्या से रूबरू हुए जजों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि समस्या जल्द दूर कराएंगे। साथ ही जानकारी स्टेट लीगल सर्विस को दी जिसने नालसा ‘‘नेशनल लीगल सर्विस‘‘ को दी। उसने जजों द्वारा इतने विपरीत हालातों में जाकर समस्या से रूबरू होने व उसे दूर करने की जा रही कोशिश को सराहते अपने ट्विटर हैंडल में इसे ट्विट किया। जजों के साथ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सदस्य भी थे। सीजेएम चित्रलेखा सोनवानी नवरात्रि का उपवास भी रख रही हैं। इसके बावजूद पहाड़ी में 4 किमी पैदल चढ़ीं।
ग्राम पंचायत तुलतुली का आश्रित गांव कलमुच्चे पंचायत मुख्यालय से 6 किमी दूर है लेकिन यहां से वहां तक पहुंचने सड़क मार्ग नहीं है। 25 परिवार के करीब 100 सदस्यों वाला यह गांव पहाड़ी पर बसा है। यहां से अंतागढ़ ब्लॉक का गांव गुमझीर भी करीब 6 किमी दूर है। यहां भी चार किमी पैदल ही चलना पड़ता है जिस मार्ग से जज गांव तक पहुंंचे। ग्रामीणों को राशन लेने अपने पंचायत मुख्यालय जाने में कठिनाई होने के कारण इन्हें गुमझीर से राशन दिया जा रहा है। गांव में सरकारी भवन के नाम पर मात्र आंगनबाड़ी व प्राथमिक शाला है। पांचवी के बाद बच्चे गांव छोड़ देते हैं। आसपास के गांव में रहकर वे मिडिल, हाई व हायर सकेंडरी स्कूल की पढ़ाई करते हैं। जज डीके गिलहरे ने कहा कि गांव में समस्या काफी गंभीर है। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी दी है। जानकारी नालसा को दी गई है। समस्या दूर करने पूरी कोशिश कर सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।