छत्तीसगढ़

पांच महिला मेटो ने बढ़ाई ‘‘आधी आबादी‘‘ की भागीदारी

रायपुर/बस्तर मित्र

गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखण्ड मुख्यालय से दस किलोमीटर की दूरी पर सघन वनों के बीच ग्राम पंचायत गुन्डरदेही बसा है। वहां पंजीकृत पांच महिलो मेटों में एक श्रीमती गिरजा साहू भी है। मजदूर परिवार की गिरजा बारहवीं तक शिक्षित है। पहले उनका परिवार पति की रोजी-मजदूरी पर ही निर्भर था। पर अब जब से वह मेट बनी है, अपने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान कर रही है। वर्ष 2015 से मेट का काम कर रही गिरजा ने धीरे-धीरे रकम जोड़कर अब कपड़े की एक दुकान भी खोल ली है। आय का अतिरिक्त साधन होने से परिवार की आर्थिक स्थिति अब पहले से काफी बेहतर हो गई है।

हर हाथ को काम और काम का वाजिब दाम की उक्ति को धरातल पर उतारने वाली मनरेगा ‘‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी‘‘ अधिनियम देश की आधी आबादी को भी आर्थिक मजबूती प्रदान कर रही है। हर हाथ को काम देने का आशय केवल पुरूष मजदूर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ऐसे सभी महिला श्रमिक भी शामिल हैं जो काम की इच्छुक हैं और जो काम कर सकती हैं। महिला मेटो की नियुक्ति से कार्यस्थल में उनकी उपस्थिति और भी ज्यादा सुनिश्चित हुई है। मनरेगा कार्यों में महिला मेट नाप से लेकर रिकॉर्ड संधारण का कार्य बखूबी कर रही हैं। वे महिला मजदूरों को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। फलस्वरूप अनेक जिलों में कार्यस्थलों में महिला मजदूरों की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है।




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Kiran Komra

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