

सुनता मया दया के डेरा बर पीपर के छांव रे जगा जगा म देवता धामी अइसन छत्तीसगढ़ बसे सुघ्घर मोर गांव रे
हमर छत्तीसगढ़ महतारी के अब्बड़ सुघ्घर संस्कृति हाबे इहां हरेली म नागर बख्खर के पूजा करके निर्जीव चीज के घलो आभार व्यक्त करे के भाव हाबे एत जइसे अपन बेटी ल सधोरी खवाय के परंपरा हे वइसने छग म किसान पोरा के समय म गभोट अवस्था म आ चुके धान के पौधा घलो ल खेत म ले जाके चीला चढ़ाथय अइसने आनी बानी के ढंग ले हमन सुघ्घर भाव ल प्रकट करथन हमर छत्तीसगढ़ महतारी के नदीए पहाड़ए रुख राई ह सुघ्घर अकन ले येकर सिंगार घलो करे हे, आवव छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस म संकलप लेवन कि हमर छत्तीसगढ़ महतारी के सिंगार इहां के तीज तिहार, संस्कृति, बोली-भाखा, नदी, पहाड़, रूख-राई नष्ट झन हो पाय इही ह हमर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस मनाय के सार्थकता होही छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के आप ल अब्बड़ अकन बधाई