कांकेर/बस्तर मित्र
जनजातीय समुदाय के जननायकों ने ब्रिटिश शासन के अत्याचार के विरूद्ध संग्राम का बिगुल फुंका और अपने प्राणों को न्योछावर कर दिए। आज का दिन उन सभी नायकों को नमन करने का दिन है। यह उद्गार राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने आज भगवान बिरसा मुण्डा की 146वीं जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर व्यक्त किया।
वनवासी विकास समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुश्री उईके ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा आदिवासियों के शोषण के खिलाफ संघर्ष करने वाले और उनके मान-सम्मान की रक्षा के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी नेता थे। उनकी जयंती करोड़ों जनजातियों का गौरव दिवस है। आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष में भारत सरकार ने बिरसा मुण्डा के जन्मदिवस को ‘‘जनजाति गौरव दिवस‘‘ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इससे जनजातीय समाज को अपने गौरवमयी संघर्षमयी इतिहास का सम्मान मिला है। सुश्री उईके ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में डॉ. खूबंचद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, वीर नारायण सिंह, गुण्डाधुर जैसे महान विभूतियों के अलावा कई ऐसे विभूतियां हुई जिन्होंने आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर किया। लेकिन वे गुमनामी में रहे। उन सभी को याद करने के लिए और आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिए।
कार्यक्रम में समाज के बुजुर्गों एवं युवाओं द्वारा आदिवासी संस्कृति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। आभार प्रदर्शन वनवासी विकास समिति के श्री भुवनसिंह राज ने किया। इस अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए.डी.एन. वाजपेयी, पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वंशगोपाल सिंह, डॉ. चंद्रशेखर उईके. पूर्व सासंद लखनलाल साहू. अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम तथा वनवासी विकास समिति के पदाधिकारी सहित शहर के प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।