बस्तर संभाग

राज्यपाल अनुसुइया उइके ग्राम बघमार के क्रांतिवीर कंगला मांझी स्मृति दिवस, सम्मान समारोह में हुए शामिल...

कांकेर/बस्तर मित्र

क्रांतिवीर कंगला मांझी को 37वीं स्मृति दिवस पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसुइया उइके थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल फूलों देवी ने की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मांझी धाम स्थल पर हीरा सिंह देव उर्फ कंगला मांझी को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद कंगला मांझी सैनिकों ने मुख्य अतिथि को सलामी दी, इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि कंगला मांझी के आदर्शों व उनके विचारों को आत्मसात कर चलने वाले विभिन्न प्रांतों से आए सैनिकों का अनुशासन और वेशभूषा समाज को एक नई सीख देती है। उनका संस्था के प्रति समर्पण एक मिसाल है, राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी गोंडी भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा मिले और इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।

श्रीमती उइके ने कहा कि हमें सभी धर्म का सम्मान करना चाहिए। जब कभी भी विभिन्न मौकों पर किसी महत्वपूर्ण कार्यक्रम में खाकी वर्दी तथा बिल्ला स्टार पहने वर्दीधारी सैनिकों को देखते हैं तो देखकर लोगों के मन में जिज्ञासा होती है, कि वह कौन है जो अनुशासित ढंग से बिना किसी अपेक्षा के कार्य कर रहे हैं। वास्तव में वह कंगला मांझी के सैनिक हैं। इनका अनुशासन देखकर उनके प्रति सम्मान का भाव जाग उठता है ।और यह गर्व भी होता है कि ऐसे लोग हमारे समाज में कार्य कर रहे हैं उन्होंने कहा कि क्रांतिवीर कंगला मांझी का स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में प्रमुख योगदान रहा है। उनका जन्म का कांकेर जिला स्थित ग्राम तेलावट में हुआ था। उनमें अद्भुत संगठन कौशल था, वह सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन उनका दृष्टिकोण बड़ा व्यापक था।

राज्यपाल ने कंगला माझी के बारे में बताया कि वे सन् 1913 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े सन् 1914 में वे माहात्मा गांधी से मिल चुके थे। इस दौरान वे राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। उन्होंने सैनिकों का एक संगठन बनाया, जिन्होने राष्ट्रीय आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। परन्तु इन सैनिको का स्वरुप अलग था। ये शाति और अहिंसा पर विश्वास करते थे। सैनिको के द्वारा राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भेंट की गई।




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