कांकेर/बस्तर मित्र
भारत मौसम विज्ञान विभाग रायपुर तथा कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर द्वारा जारी मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार आगामी कांकेर जिले के कुछ स्थानों पर वर्षा हो रही है तथा 12 जनवरी तक हल्की वर्षा होने की संभावना है, आसमान में आंशिक रूप से बादल छाये रहने के साथ अधिकतम तापमान 28.0-29.0 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम तापमान 12.0-13.0 डिग्री सेंटीग्रेड, सुबह की हवा में 85-91 प्रतिशत आर्द्रता और शाम की हवा में 35-57 प्रतिशत आर्द्रता और आने वाले दिनों में हवा दक्षिण-पूर्व दिशा 2.0-4.0 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीरबल साहू ने समसामयिक सलाह देते हुए कहा कि तेज़ ठंडी हवाएं और कोहरे का असर ना सिर्फ इंसानी जीवन पर पड़ता है, बल्कि यह फसलों के लिए भी बहुत नुकसानदायक होता है। बदलते मौसम की वजह से आलू, टमाटर, चना और मटर जैसी सब्जियों पर रोगों का खतरा मंडराने लगा है. इसके लिए किसानों को समय पर सावधानी बरतनी होगी, दरअसल तापमान में गिरावट और वातावरण में अत्यधिक नमी की वजह से फसलों पर झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ गई है। इस रोग से टमाटर, आलू बैंगन, सरसों, चना, मसूर आदि की पत्तियां झुलस जाती हैं, ऐसा लगता है कि पत्तियां जल गई हों, इस झुलसा रोग लगने से फसलों का उत्पादन भी प्रभावित होने लगता है, इसके नियंत्रण के लिए कापरआक्सी क्लोराईड 1.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिडकाव करें। चने की फसल में लगने वाली चने की इल्ली सबसे खतरनाक कीटों मे से एक है।
आम तौर पर चने की इल्ली के प्रकोप से फसल की पैदावार में 15 से 20 प्रतिशत तक कमी आती है। बादल छाये रहने पर इसका प्रकोप बढ़ने पर 80 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो जाती है। इस कीट का लार्वा पत्तियों के हरे भाग को खाता है बड़ी इल्लियां पत्तियों एवं फलियों में छेद करके अंदर के दानों को खती है, जिससे फलियां अंदर से खोखली हो जाती है और पैदावार में कमी आती है। नियंत्रण के लिए शुरूआती अवस्था में नीम के तेल का छिड़काव चने की अल्ली पर नियंत्रण के लिये कारगर साबित होता है या खेत में 3 मीटर की दूरी पर बांस की लगभग एक मीटर ऊंची टी आकार की खूटियां गड़ा देने से मैना तथा अन्य परभक्षी पक्षी बैठकर इल्लियों को खा जाते हैं। रासायनिक नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफास प्लस साइपरमेथ्रिन 44 ई.सी. या प्रोफेनोफास 50 ईसी का एक लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें। मौसम तथा कृषि की जानकारी हेतु अपने मोबाइल पर भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा विकसित मेघदूत एप इनस्टॉल करें।