रायपुर/बस्तर मित्र
राजधानी में कोरोना संक्रमण ने लॉकडाउन को लेकर चर्चाएं शुरू की थीं, जिन्हें नाइट कर्फ्यू ने बलवती कर दिया है। जिस तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, लॉकडाउन की अफवाहें भी उतनी ही तेज हो रही हैं। इन अफवाहों ने लोगों ने एक बार फिर स्टाक करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे दिया है। इसका असर आम आदमी के किचन से लेकर उसकी नशे की जरूरतों पर भी नजर आ रहा है और चीजें महंगी होती जा रही हैं। मोहल्लों की दुकानों में तेल, दाल, शक्कर और चायपत्ती के रेट बढ़ने लगी है। गुटखा समेत तंबाखू प्रोडक्ट के रेट अभी से वैसे हो रहे हैं, जैसे लॉकडाउन में हो जाते हैं। प्रशासन का दावा है कि कड़ी नजर रखी जा रही है, व्यापारी कहते हैं कि स्टॉक भरपूर है और रेट नहीं बढ़ेगा, लेकिन वास्तविकता यही है कि पिछले एक हफ्ते से शहर में अधिकांश वस्तुओं के रेट थोड़े-बहुत बढ़ गए हैं। खासकर गली-मोहल्लों की दुकानों में, जिनपर बड़ी आबादी आश्रित रहती है।
थोक में आलू-प्याज सस्ता है, लेकिन जैसे ही मोहल्लों में जा रहा उसकी कीमत 20 रुपए तक बढ़ जा रही है। शक्कर 5 रुपए तक और अरहर समेत कुछ दालों की कीमत 100 रुपए किलो से ज्यादा हो गई है। रायपुर में नाइट कर्फ्यू लगने के साथ ही सबसे ज्यादा महंगा पान-गुटखा हो गया है। रात में सामान नहीं मिलने की वजह से पानी कारोबारी इसे लगभग दोगुनी कीमत में बेच रहे हैं। सबसे ज्यादा भाव में गुड़ाखू का बाजार पहुंच गया है। 190 रुपए वाला गुड़ाखू 300 रुपए तक पहुंच गया है। चिल्हर में 5 से 7 रुपए में बिकने वाली डिब्बी सीधे 20 रुपए में बिक रही है। तेल की कीमत बढ़ने से ठेलों में चाय-नाश्ता भी महंगा हो गया है। केवल एक हफ्ते में कारोबारियों ने बाजार में हर सामान की कीमत बढ़ा दी है।
ठेलों में नाश्ता महंगा:-
तेल, गैस सिलेंडर महंगा होने से कई जगह ठेले में मिलने वाले नाश्ते का रेट बढ़ा है। 15 रुपए प्लेट वाला नाश्ता 20 और 20 वाला 25 रुपए में दे रहे हैं। चौपाटी जल्दी बंद होने की वजह से एमजी रोड और तेलीबांधा तालाब के पास की दुकानों में स्ट्रीट फूड महंगा हुआ है। यहां पाव-भाजी, डोसा, एग रोल, सैंडविच आदि का रेट 5 से 10 रुपए तक बढ़ गया है। ठेलों में हाफ चाय का रेट भी एक-दो रुपए बढ़ा है।
घरों में स्टॉक करने बाजारों में फिर उमड़ गए लोग:-
प्रशासन का दावा है कि कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी, किसी चीज का रेट नहीं बढ़ सकता। लेकिन आला अफसरों के पास भी इस सवाल का जवाब नहीं है कि आखिर गली-मोहल्लों की दुकानों में रेट क्यों बढ़ गए और प्रशासन इसे रोक क्यों नहीं पा रहा है? कालाबाजारी को काबू करने के लिए प्रशासन के पास क्या कोई सिस्टम है? इस सवाल का जवाब भी अफसरों के पास नहीं है। कलेक्टर सिर्फ यही कहते हैं कि अफसरों की टीम बना दी है जो बाजारों में जांच करेगी।
दोनों लॉकडाउन में कालाबाजारी को बुरी तरह भुगत चुके हैं और कई चीजों के रेट तो तब बढ़कर अब तक स्थायी हैं। इधर, डूमरतराई और गुढ़ियारी के थोक किराना कारोबारियों का कहना है कि आम लोग स्टॉक करने के माइंडसेट से ज्यादा चीजें खरीद रहे हैं। गोलबाजार व्यापारी संघ के अध्यक्ष सतीश जैन का कहना है कि जो लोग एक माह का राशन खरीदते थे, इस बार फिर दो-तीन महीने का ले जा रहे हैं। कुछ लोग संक्रमण के डर से बार-बार बाजार नहीं आना चाहते, इसलिए ज्यादा खरीदी कर रहे हैं। व्यापारियों का मानना है कि बाजार लाभ आधारित हैं, इसलिए इस प्रवृत्ति का असर तो पड़ेगा ही।